अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में आज असुरी गीत गायेंगी झारखंड की असिंता असुर
असिंता किसी भी अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में भाग लेनेवाली पहली असुर महिला हैं. नेतरहाट के जोभीपाट की रहनेवाली असिंता तीन दिवसीय महोत्सव के अंतिम दिन, छह अगस्त को असुरी गीत प्रस्तुत करेंगी.
असिंता असुर भोपाल, मध्य प्रदेश के रविंद्र भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव ”उन्मेष” में शामिल हो रही हैं. महोत्सव का आयोजन साहित्य अकादमी नयी दिल्ली, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और संस्कृति विभाग मध्यप्रदेश शासन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है. असिंता किसी भी अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में भाग लेनेवाली पहली असुर महिला हैं. नेतरहाट के जोभीपाट की रहनेवाली असिंता तीन दिवसीय महोत्सव के अंतिम दिन, छह अगस्त को असुरी गीत प्रस्तुत करेंगी.
उन्होंने बताया कि महोत्सव में शामिल होकर उन्हें काफी अच्छा लग रहा है और नये लोगों से मुलाकात हो रही है. उन लोगों को भी सुन रही हैं, जिनके बारे में पहले जानती तक नहीं थी. उनके गीत भी हमारे गीतों की तरह हैं. उनके विषय हमारे विषय की तरह ही हैं. वह रविवार को असुरी पुरखा गीत प्रस्तुत करेंगी. यह एकल गायन होगा. वह तीन-चार गीत प्रस्तुत करेंगी, जिनके विषय असुरों के लोहा गलाने की परंपरा, सरहुल त्योहार आदि होंगे. असिंता की भोपाल की यात्रा उनकी पहली हवाई यात्रा थी. इस बारे में अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि इससे पहले सिर्फ ऊपर से हवाई जहाज को गुजरते देखते थे. यात्रा के समय उन्हें डर नहीं लगा, क्योंकि सहयोगियों ने इससे जुड़ी काफी बातें बता दी थीं.
असुर अखड़ा मोबाइल रेडियो में स्टोरी टेलर हैं असिंता
असिंता ने बताया कि वह असुर अखड़ा मोबाइल रेडियो में स्टोरी टेलर हैं. कहानियां बताती हैं. वह 2005 से इससे जुड़ी हैं. असुरी भाषा के बारे कहा कि पढ़ लिख कर गांव से निकलने वाले अपनी भाषा छोड़ रहे हैं. पर जो गांव में हैं, वह इसे बचाने की कोशिश में हैं. उनकी टीम भी इसमें लगी हुई है. असुर रेडियो से जुड़ने से पहले उनके गीत पर्व- त्योहारों तक सीमित रह गये थे. लेकिन रेडियो की शुरुआत के बाद बच्चे भी इसके प्रति रुचि दिखाने लगे हैं. रेडियो के लिए अपने गीत भेजने लगे हैं. इससे गांव के बच्चों को भी प्रोत्साहन मिल रहा है.