Kanke Vidhan Sabha|Jharkhand Assembly Election|गुलाम रब्बानी, कांके : झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Assembly Election 2024) के लिए पार्टियां कमर कस चुकी हैं. चुनावी मैदान में शह-मात का खेल शुरू हो गया है. चुनावी बयार को अपने पक्ष में करने के लिए संभावित प्रत्याशी से लेकर पार्टियां लगी हैं. प्रभात खबर विधानसभा क्षेत्रवार रिपोर्ट छाप रहा है. विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक पृष्ठभूमि, विधानसभा के एजेंडे, आम लोगों की समस्या सहित कई पहलुओं पर आधारित खास रिपोर्ट. आज पढ़िए कांके विधानसभा क्षेत्र की रिपोर्ट.
ग्रामीण बहुल क्षेत्र है कांके विधानसभा क्षेत्र
अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित कांके विधानसभा सीट ग्रामीण बहुल क्षेत्र है. लेकिन, राजधानी रांची शहर से सटे होने के कारण इसमें बरियातू, कोकर, कांके रोड जैसे शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ कोयलांचल का बड़ा हिस्सा आता है. वर्ष 1967 में कांके विधानसभा सीट का गठन हुआ था. 1977 में इस सीट को अनुसूचित जाति के प्रत्याशियों के लिए आरक्षित कर दिया गया था. 1967 में इस सीट पर झारखंड दल (जेकेडी) के नेता जेएन चौबे पहले विधायक बने थे. वहीं 1977 में सीट आरक्षित होने के बाद हीराराम तूफानी चुनाव जीते. कांके में दो बार कांग्रेस का कब्जा रहा है. 1990 से अब तक यह सीट लगातार भाजपा के पाले में रही है.
रामचंद्र बैठा यहां से 4 बार बने विधायक
रामचंद्र बैठा यहां से चार बार विधायक बने हैं. भारतीय जनसंघ पार्टी के टिकट पर रामटहल चाैधरी भी दो बार कांके से विधायक चुने गये थे. बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रिम्स, लॉ यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बीआइटी मेसरा, आइआइएलएम जैसे कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान इस विधानसभा क्षेत्र में हैं.
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झारखंड विधानसभा चुनाव के मुद्दे
राजधानी से सटे होने के बावजूद यहां पेयजल, सड़क, नाली जैसी समस्याएं आम है. पिठौरिया, बुढ़मू, ठाकुरगांव जैसे कृषि आधारित गांवों में सिंचाई की सुविधा नहीं है. क्षेत्र के किसान आज भी बारिश के पानी पर ही आश्रित हैं. पिठौरिया सब्जियों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन किसानों को कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लोग पेयजल के लिए नदी के पानी का इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं. गांवों में अब तक पाइपलाइन से पेयजलापूर्ति की सुविधा नहीं है. प्रखंड कार्यालय व रिंग रोड से सटे क्षेत्रों में सड़क की स्थिति काफी जर्जर है. पिठौरिया घाटी, बुढ़मू, मैकलुस्कीगंज जैसे कई प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल होने के बावजूद क्षेत्र में पर्यटन विकसित नहीं हो सका है.
सैकड़ों सड़क, नाली, पुल बनवाये : समरी लाल
कांके के विधायक समरी लाल ने कहा कि मेरे कार्यकाल में बिजली, स्वास्थ्य, सड़क, पुल-पुलिया का काफी विकास कार्य हुआ है. सैकड़ों, नालियां व पुल बनाने का रिकार्ड बना है. खलारी प्रखंड बनने के 12 साल बाद वहां सीएससी निर्माण की कल्पना साकार करा रहा हूं. बंद पड़े पांच स्वास्थ्य उपकेंद्रों में डॉक्टरों की पोस्टिंग करा उनको शुरू कराया. उग्रवादी बहुल क्षेत्र मैकलुस्कीगंज के हरुआ में सड़क व पुल का निर्माण, लातेहार को जोड़ने वाली सड़क हेसालोंग में निर्माणाधीन पुल, डेगाडेगी नदी पर निर्माणाधीन पुल, कांके प्रखंड के गागी में जर्जर सड़क निर्माण सहित दर्जनों विकास कार्य हुए हैं. कांकेे प्रखंड, बुढ़मू व खलारी में कई सड़कों व पुल का टेंडर कराया जा रहा है. वर्तमान सरकार की गलत नीति की वजह से पेयजल आपूर्ति योजना का लाभ क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पाया है. राज्य सरकार की वजह से ही युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. पलायन रोकने के लिए भी हेमंत सोरेन सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
विकास के लिए तरस रहा कांके : सुरेश बैठा
गत चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुरेश बैठा में कहा कि पिछले 34 वर्ष भाजपा के कार्यकाल में विकास कार्य नहीं हुए. क्षेत्र अच्छे प्रतिनिधि के लिए तरस रहा है. यहीं कारण है भाजपा को यहां बार-बार अपना चेहरा बदलना पड़ रहा है. भाजपा विधायकों ने अपने फंड का दुरुपयोग किया है. जो भी विकास का कार्य हुआ है, उसमें 40 से 60 प्रतिशत तक कमीशन वसूल कर अपने कार्यकर्ताओं को काम दिया है. पंचायत में विधायक फंड से सात चापानल लगाने की योजना का लाभ विधायक ने केवल अपने कार्यकर्ताओं को ही दिया. चापानल सार्वजनिक जगहों पर नहीं लगा कर कार्यकर्ताओं के घरों में लगाये गये. कृषि बहुल क्षेत्र में भाजपा ने कोल्ड स्टोरेज बनाने का झूठा वादा किया. लपरा में रेलवे ब्रिज नहीं बनाया गया. खलारी में स्वास्थ्य, प्रदूषण आदि की समस्या का समाधान नहीं निकाला गया. दूर होने की वजह से वहां बनाये गये स्वास्थ्य केंद्र का लाभ भी लोगों को नहीं मिल रहा है. मुख्य सड़क से 10 किलोमीटर के दायरे में सड़क की स्थिति दयनीय है. पेयजल की समस्या है.
क्या कहते हैं लोग
क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के भवनों की हालत जर्जर है. यहां के विधायक को क्षेत्र के सरकारी स्कूलों का भ्रमण कर बेहतर शिक्षा व्यवस्था की ओर ध्यान देना चाहिए. बेहतर शिक्षण व्यवस्था से गांव, समाज, राज्य व देश का विकास संभव है.
बिनोद कुमार, समाजसेवी, कांके
लगातार एक ही पार्टी के विधायक बनने से विकास का कार्य रूक जाता है. इसके लिए जनता को जागरूक होना जरूरी है. क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में कार्य हुआ है. लेकिन जिस गति से कार्य होना चाहिए वह अब तक नहीं हो पाया है.
सज्जाद अंसारी, पूर्व उपप्रमुख कांके
शहरी क्षेत्र में विकास हुआ है, पर खेलारी, बुढ़मू में अब तक कोई विकास का कार्य नहीं है. बुढमू में आज तक कोई ढंग का स्कूल और काॅलेज नहीं है. बुढ़मू में लोग कृषि पर आश्रित है. करोड़ो की लागत से चेक डैम बना गया है, लेकिन सब बेकार पड़े है.
ब्रजनाथ महतो, समाजसेवी बुढ़मू्
अब तक कांके विधानसभा क्षेत्र से कौन कौन बना विधायक
चुनाव का वर्ष | विधायक का नाम | पार्टी का नाम |
1967 | जेएन चौबे | जेकेडी |
1969 | रामटहल चौधरी | बीजेएस |
1972 | रामटहल चौधरी | बीजेएस |
1977 | हीराराम तूफानी | जेएनपी |
1980 | राम रतन राम | कांग्रेस |
1985 | हरि राम | कांग्रेस |
1990 | रामचंद्र बैठा | बीजेपी |
1995 | रामचंद्र बैठा | बीजेपी |
2000 | रामचंद्र नायक | बीजेपी |
2005 | रामचंद्र बैठा | बीजेपी |
2009 | रामचंद्र बैठा | बीजेपी |
2014 | डाॅ जीतू चरण राम | बीजेपी |
2019 | समरीलाल | बीजेपी |
कांके विधानसभा चुनाव 2019 के परिणाम
विजेता का नाम | पार्टी का नाम | मिले मत |
समरीलाल | बीजेपी | 1,11,975 |
सुरेश बैठा | कांग्रेस | 89435 |
कांके विधानसभा चुनाव 2014 के परिणाम
विजेता का नाम | पार्टी का नाम | मिले मत |
डाॅ जीतू चरण राम | बीजेपी | 1,15,702 |
सुरेश बैठा | कांग्रेस | 55,898 |
कांके विधानसभा चुनाव 2009 के परिणाम
विजेता का नाम | पार्टी का नाम | मिले मत |
रामचंद्र बैठा | बीजेपी | 45,945 |
सुरेश बैठा | कांग्रेस | 40,674 |
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