Jharkhand Assembly Election: यह थीं पहली आदिवासी महिला विधायक, इनकी वजह से महिलाओं को आज भी मिलती है प्रेरणा
मुक्तिदानी सुंब्रई अविभाजित बिहार से पहली आदिवासी महिला थीं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी.
Jharkhand Assembly Election, प्रवीण मुंडा : झारखंड की राजनीति में आदिवासी महिला की उपस्थिति का इतिहास करीब सात दशक पुराना है. इनमें सबसे पहला नाम एंजलिना तिग्गा का आता है. एंजलिना तिग्गा 1952 में राज्यसभा सांसद चुनी गयी थीं. वह राज्यसभा पहुंचनेवाली पहली आदिवासी महिला थीं. इसके बाद करीब 10 वर्षों तक कोई आदिवासी महिला ने राजनीति में कदम नहीं रखा.
मुक्तिदानी सुंब्रई थीं पहली आदिवासी महिला विधायक
10 वर्षों के बाद वर्ष 1962 के विधानसभा चुनाव में हन्ना बोदरा ने तोरपा सीट से चुनाव लड़ा. हालांकि वह सामुएल मुंडा से चुनाव हार गयीं. वह जुझारू महिला थीं. उनमें पुरुषवादी सत्ता को चुनौती देने का साहस था. हार के बावजूद उनकी उपलब्धियां कम नहीं थीं. वह महिलाओं के बीच जाकर सामाजिक और राजनीतिक चेतना जगाने में जुटी रहीं. इन्हीं कारणों से प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन की ओर से जयपाल, जूलियस, हन्ना साहित्य अवार्ड के जरिये उनके नाम और योगदान को संजोने और अगली पीढ़ी को हस्तांतरित रखने की कोशिश की जा रही है. इन महिलाओं की वजह से आदिवासी महिलाओं का राजनीति में कदम रखने का हौसला बढ़ा.
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1977 में मुक्तिदानी सुंब्रई ने चाईबासा सीट से दर्ज की थी सीट
वर्ष 1967 में डीएफ भेंगरा ने तोरपा से और 1969 में दुमका से सूरजमनी हांसदा ने चुनाव लड़ा. 1969 में खिजरी से बाहामनी बारला और गुमला से सोरोलोनी देम्टा ने विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमायी. हालांकि, ये सभी हार गयीं. 1977 एक ऐतिहासिक साल रहा, जब मुक्तिदानी सुंब्रई ने झारखंड पार्टी की ओर से चाईबासा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ी और जीत दर्ज की. मुक्तिदानी सुंब्रई अविभाजित बिहार से पहली आदिवासी महिला थीं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. उसके बाद सुशीला केरकेट्टा विधायक व सांसद बनीं, सुशीला हांसदा लिट्टीपाड़ा से, पोटका से मेनका सरदार व मनोहरपुर से जोबा माझी चुनाव जीतीं . वहीं मांडर से शिल्पी नेहा तिर्की विधायक बनीं. झारखंड में आदिवासी महिला राजनीतिज्ञों की एक लंबी फेहरिस्त है.