झारखंड विधानसभा में ये पांच विधेयक ध्वनिमत से पारित, बहस के बाद लिया गया निर्णय

प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि कई सदस्यों ने इस विधेयक में अहम सुझाव दिये हैं. सरकार उन सुझावों पर विचार कर आगे निर्णय लेगी. अभी इस विधेयक को वापस लिया जाता है

By Prabhat Khabar News Desk | December 23, 2022 10:07 AM

सदन में ध्वनिमत से पांच विधेयक विधानसभा से पास हुए. इसमें झारखंड कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन) विधेयक-2022, झारखंड आकस्मिकता निधि (संशोधन) विधेयक-2022, सोना देवी विवि विधेयक 2022, बाबू दिनेश सिंह विवि विधेयक-2022 और झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक-2022 शामिल है. वहीं सरकार ने जैन विश्वविद्यालय विधेयक को वापस ले लिया.

प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि कई सदस्यों ने इस विधेयक में अहम सुझाव दिये हैं. सरकार उन सुझावों पर विचार कर आगे निर्णय लेगी. अभी इस विधेयक को वापस लिया जाता है. इससे पहले विधायक विनोद सिंह ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव लाया. कहा कि इससे पहले भी अरका जैन विश्वविद्यालय विधेयक विधानसभा से पारित हुआ.

एक बार फिर इसी ट्रस्ट की ओर से समान पते पर जैन विश्वविद्यालय विधेयक को लाया गया है. अगर यह विधेयक पारित होता है, तो छात्रों व सदन के साथ धोखाधड़ी होगी. विधायक अनंत ओझा ने कहा कि इस ट्रस्ट की ओर से अरका विश्वविद्यालय का विधेयक विधानसभा से पारित हो चुका है. एक विश्वविद्यालय जमशेदपुर में खड़ा नहीं हो पाया है.

निजी विश्वविद्यालय को लेकर लाये विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का प्रस्ताव लाते हुए कहा गया कि अब तक 20 निजी विवि विधेयक विधानसभा से पारित हो चुके हैं. अब फिर से तीन नये विश्वविद्यालय को लेकर विधेयक लाया गया है. विश्वविद्यालयों को लेकर सरकार की ओर से दिशा-निर्देश जारी किया गया है. पहले इस बात की जांच कर ली जाये कि इसमें दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है कि नहीं.

आदिवासियों की पहुंच से बाहर हो जायेगा न्याय

झारखंड कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन) विधेयक को प्रवर समिति में भेजने को लेकर विधायक अमर बाउरी, विनोद सिंह, लंबोदर महतो ने प्रस्ताव लाया. श्री बाउरी ने कहा कि यह संशोधन विधेयक जनता को प्रभावित करने वाला है. झारखंड में एससी-एसटी बहुल क्षेत्र है. प्रभावशाली लोग इनकी जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. कोर्ट फीस में वृद्धि होने की वजह से गरीब न्याय पाने से वंचित रह जायेंगे.

न्याय सुगम व सुलभ होना चाहिए. ऐसा करने से न्याय आदिवासियों की पहुंच से बाहर हो जायेगा. विनोद सिंह ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार नहीं हुआ है. ऐसे में यह विधेयक भी कोर्ट से खारिज हो सकता है. प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कोर्ट के आदेश पर कमेटी का गठन किया गया. विचार-विमर्श कर ही विधेयक को लाया गया है.

डेमोग्राफी बदलने को लेकर हो रही राजनीति

झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक को प्रवर समिति में भेजने को लेकर विनोद सिंह, अमर बाउरी केदार हाजरा, बिरंची नारायण, मनीष जायसवाल ने प्रस्ताव लाया. इनकी ओर से कहा गया कि विधेयक में संशोधन लाकर सरकार डेमोग्राफी बदलने की राजनीति कर रही है. चक्रानुक्रम हटा कर सरकार जनसंख्या के आधार पर मेयर पद आरक्षित कर रही है.

सरकार ने रांची में मेयर पद एससी के लिए आरक्षित किया. राज्यपाल से अधिसूचना होने के बाद इसमें संशोधन ला रही है. इससे एससी अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. इनके मुंह से निवाला छीना जा रहा है. इसमें विसंगति है. सरकार चुनाव को लटकाना चाहती है. प्रभारी मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि जनभावना को ध्यान में रख कर संशोधन लाया है.

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