झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में आज सरकार को इस मुद्दे पर घेरेगी भाजपा, बैठक में बनी रणनीति
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि आदिवासियों की हितैषी बताने वाली गठबंधन सरकार ने आदिवासियों को लूटा और लुटवाया.
रांची : भाजपा विधायक दल की बैठक में रविवार को सरकार को घेरने की रणनीति बनायी गयी. भाजपा सदन में सरकार से पांच साल के कार्यों का जवाब मांगेगी. बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए भाजपा विधायक दल के नेता अमर बाउरी ने कहा कि यह चालू विधानसभा का अंतिम व विदाई सत्र है. पूरे पांच वर्षों तक राज्य की गठबंधन सरकार ने जनता को ठगा है. केवल वादा खिलाफी की है. न नौकरी दिया न बेरोजगारी भत्ता दिया. न नियोजन नीति बनायी न 1932 की स्थानीय नीति ही तय किया. उन्होंने कहा कि आज सरकारी कर्मचारी, अनुबंध कर्मी, पारा शिक्षक सभी आंदोलन कर रहे हैं.
गठबंधन सरकार ने आदिवासियों को लूटा
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि आदिवासियों की हितैषी बताने वाली गठबंधन सरकार ने आदिवासियों को लूटा और लुटवाया. अपनी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर लाठियां बरसायीं. उन्होंने कहा कि युवाओं कि नौकरी के नाम पर जेपीएससी, एसएससी की नियुक्तियां बेची गयीं. कहा कि आज संताल परगना मिनी बांग्लादेश बन गया है. 1951 से 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते है कि मुस्लिम घुसपैठियों की आबादी लगातार बढ़ती गयी और आदिवासियों की आबादी घटती गयी.
झारखंड में विधि व्यवस्था धवस्त
अमर बाउरी ने आगे कहा कि सरकार इसके उत्तर से भाग रही. तुष्टिकरण और वोट बैंक के कारण सरकार जवाब नहीं दे रही. न्यायालय को भी दिग्भ्रमित कर रही. उन्होंने कहा एक तरफ विधि व्यवस्था ध्वस्त है और सरकार रातों रात डीजीपी बदल रही. कहा कि राज्य सरकार डंडे और पुलिस के बल भाजपा की आवाज दबाना चाहती है, लेकिन सरकार में इतनी ताकत नहीं कि वह ऐसा कर सके. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि उन्होंने आदिवासियों केलिए पांच वर्षों में क्या किया?
अमर बाउरी ने पूछा- हेमंत सरकार ने आदिवासियों पर क्यों किया लाठीचार्ज
बतायें कि सिदो-कान्हो की धरती पर एसपीटी कानून के रहते इतने कब्रिस्तान कैसे बने? पाकुड़ में आदिवासियों पर लाठीचार्ज क्यों किया? उन्होंने कहा कि इन ज्वलंत मुद्दों पर सरकार माफी मांगे. बैठक की अध्यक्षता प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने की.बैठक में प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, विधायक सीपी सिंह, नीलकंठ सिंह मुंडा, भानु प्रताप शाही, बिरंची नारायण, अनंत ओझा, रामचंद्र चंद्रवंशी, नीरा यादव, नवीन जायसवाल, राज सिन्हा, कोचे मुंडा, केदार हाजरा, अपर्णा सेन गुप्ता, नारायण दास, किशुन दास, शशि भूषण मेहता, पुष्पा देवी शामिल हुए.