Loading election data...

कृषि मंत्री बादल पत्रलेख का भाजपा पर हमला, कहा- केंद्र नहीं, हम हैं किसानों के हमदर्द

मंत्री बादल पत्रलेख मंगलवार को विधानसभा में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की अनुदान मांग पर चर्चा के बाद सरकार का पक्ष रख रहे थे. चर्चा के बाद कृषि प्रभाग का 28 अरब चार करोड़ 13 लाख 88 हजार रुपये का बजट विपक्ष के बहिष्कार के बीच ध्वनिमत से पारित हो गया

By Prabhat Khabar News Desk | March 15, 2023 10:32 AM

कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के मंत्री बादल ने कहा है कि किसान केंद्र के लिए वोट बैंक हो सकते हैं, हमारे लिए नहीं. केंद्र सरकार ने 2018-19 में चुनाव से पहले प्रधानमंत्री सम्मान निधि शुरू की. उस वक्त झारखंड के 27 लाख किसानों को पैसा दिया गया. जब चुनाव समाप्त हो गया, तो शर्त लगा कर किसानों की संख्या कम किया जाने लगा. असल में केंद्र सरकार किसानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करती है.

हम किसानों के हमदर्द हैं. यही कारण है कि हम लोगों ने सरकार में आते ही किसानों का कर्ज माफ किया. चुनाव आने का इंतजार नहीं किया. हमें पैसे की कमी थी, इस कारण 50 हजार माफ किया. राजस्व बढ़ेगा, तो ज्यादा माफ करेंगे. मंत्री श्री बादल मंगलवार को विधानसभा में कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग की अनुदान मांग पर चर्चा के बाद सरकार का पक्ष रख रहे थे. चर्चा के बाद कृषि प्रभाग का 28 अरब चार करोड़ 13 लाख 88 हजार रुपये का बजट विपक्ष के बहिष्कार के बीच ध्वनिमत से पारित हो गया.

मंत्री बादल ने कहा कि चालू वित्तीय वर्ष में सहकारिता में 75, पशुपालन में 71, डेयरी में 75, मत्स्य में 79, कृषि में 45 तथा भूमि संरक्षण में 15 फीसदी राशि खर्च हुई है. जहां खर्च कम हुई है, वह हमारी कमजोरी है. इसके पीछे कुछ परिस्थितियां हैं. खरीफ की शुरुआत में बारिश नहीं हुई, बाद में बारिश होने के कारण तालाबों में पानी भरा था. इस कारण काम में प्रगति कम है. लेकिन, हम मिशन मोड में लगे हुए हैं. विपक्ष हमारी निंदा कर रहा है, सूखा में दी गयी राहत पर सवाल उठा रहा है. उनको सोचना चाहिए कि जब 2018-19 में सूखा पड़ा था, तो किसानों को कितनी सहायता दी थी. हमने तो कम से कम 3500 रुपये प्रति किसान दिया है.

सबकी सहमति से लगेगा शुल्क

मंत्री ने कहा कि भारत सरकार के बार-बार दबाव देने के कारण बाजार समिति का मॉडल एक्ट लाया गया है. इसकी नियमावली नहीं बनी है. कितना टैक्स लगेगा, यह बाद में तय होगा. इसके लिए पक्ष, विपक्ष के साथ-साथ व्यापारियों की बातें भी सुनी जायेगी. बाजार समिति को जिंदा रखना भी हमारी जिम्मेदारी है. इसके लिए पैसे की जरूरत है.

Next Article

Exit mobile version