Loading election data...

झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आज, स्थानीयता और आरक्षण बिल होगा पारित

विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र शुक्रवार को आहूत होगा. मॉनसून सत्र के इस विस्तारित सत्र में सरकार दो विधेयक लेकर आयेगी. दोनों ही बिल में नौंवीं सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है

By Prabhat Khabar News Desk | November 11, 2022 7:07 AM

झारखंड विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र शुक्रवार को आहूत होगा. मॉनसून सत्र के इस विस्तारित सत्र में सरकार दो विधेयक लेकर आयेगी. दोनों ही बिल में नौंवीं सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है. दोनों ही बिल के प्रावधानों को लागू करने के लिए गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाली जायेगी. बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में विधानसभा का यह सत्र महत्वपूर्ण होगा.

पक्ष-विपक्ष ने सत्र की तैयारी को लेकर विधायकों की बैठक बुलायी. बैठक में सत्र को लेकर रणनीति बनी. राज्य सरकार स्थानीयता नीति और आरक्षण में बढ़ोत्तरी को लेकर अपनी बात रखेगी, वहीं विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.

स्थानीयता संबंधी बिल : प्रस्ताव में 1932 के पहले का भी सर्वे मान्य

  • स्थानीय व्यक्तियों का अर्थ झारखंड का अधिवास होगा, जो एक भारतीय नागरिक है और झारखंड की क्षेत्रीय और भौगोलिक सीमा के भीतर रहता है.

  • उसके या उसके पूर्वजों का नाम 1932 या इससे पहले के सर्वेक्षण या खतियान में दर्ज हो.

  • ड्राफ्ट में इसका उल्लेख है कि भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा द्वारा संस्कृति, स्थानीय रीति-रिवाजों, परंपरा आदि के आधार पर की जायेगी.

  • स्थानीय व्यक्ति सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक बीमा और रोजगार-बेरोजगारी के संबंध में राज्य की सभी योजनाओं और नीतियों के हकदार होंगे. उन्हें अपनी भूमि, रोजगार और कृषि ऋण या अन्य ऋण पर विशेषाधिकार और संरक्षण प्राप्त होगा.

आरक्षण संबंधी बिल : आरक्षण सीमा 77 प्रतिशत होगी

राज्य के पदों और सेवाओं में 77 प्रतिशत आरक्षण देना है. तय किया गया है कि सीधी भर्ती के द्वारा मेरिट से 23 प्रतिशत और आरक्षित कोटे से 77 प्रतिशत नियुक्तियां होंगी. इसके तहत कोटिवार आरक्षण इस तरह होगा. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलनेवाले 10 फीसदी आरक्षण को मिलाकर पहले राज्य में 60 प्रतिशत का प्रावधान था.

अनुसूचित जाति को- 12 प्रतिशत

अनुसूचित जनजाति को- 28 प्रतिशत

अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची -1) को- 15 प्रतिशत

पिछड़ा वर्ग (अनुसूची-2) को- 12 प्रतिशत

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को- 10 प्रतिशत

Next Article

Exit mobile version