रांची : झारखंड सरकार ने पुरुषों को विधवा पेंशन और फर्जी छात्रों को छात्रवृत्ति दी है. सरकारी कर्मचारियों के बच्चों ने भी अपनी माता-पिता की सालाना आमदनी एक लाख रुपये से कम बता कर छात्रवृत्ति ली है. कुछ छात्रों को एक से अधिक छात्रवृत्ति की राशि मिली है. जबकि, वह एक ही छात्रवृत्ति के हकदार थे. महालेखाकार द्वारा सदन में पेश डीबीटी से संबंधित ऑडिट रिपोर्ट में इन गड़बड़ियों का उल्लेख किया गया है. झारखंड के महालेखाकार आलोक फ्रांसिस डुंगडुंग ने विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश करने के बाद वर्णित तथ्यों की जानकारी दी. बताया कि डीबीटी योजनाओं में सामाजिक अंकेक्षण और निगरानी का भारी अभाव पाया गया.
सीएजी की रिपोर्ट में विधवा पेंशन से जुड़े मामले की जांच के क्रम में पाया गया कि पुरुषों को भी विधवा पेंशन दी गयी. ऑडिट के दौरान पाया गया कि पूर्वी सिंहभूम और गोड्डा के चार प्रखंडों पोटका, घाटशिला, पोड़ैयाहाट व गोड्डा सदर में कुल 16 पुरुषों को विधवा पेंशन दी गयी. इन पुरुषों को पेंशन मद में 9.54 लाख रुपये का भुगतान किया गया. पोड़ैयाहाट में एक, गोड्डा सदर में चार, पोटका में छह व घाटशिला में पांच पुरुषों को विधवा पेंशन का लाभ दिया गया. विधवा पेंशन पानेवालों की सूची में पोटका के भीमदास व धनी राम मार्डी समेत अन्य शामिल हैं.
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अल्पसंख्यकों की प्री और पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति की जांच के दौरान गलत भुगतान से संबंधित मामले पकड़ में आये. जांच में पाया गया कि चतरा, पूर्वी सिंहभूम, गोड्डा और रांची के 14 संस्थाओं में फर्जी छात्रों को 1.17 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. जबकि, इन संस्थाओं की ओर से राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया गया था. अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति की जांच करने के लिए बनायी गयी सरकारी समिति की जांच रिपोर्ट में 9.99 करोड़ रुपये के फर्जी छात्र भुगतान में अधिकारियों की भूमिका की पुष्टि की गयी है. अनूसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग की छात्रवृति की जांच के दौरान चतरा, गोड्डा, पलामू, रांची और पूर्वी सिंहभूम के 21 संस्थानों में 81 फर्जी विद्यार्थियों को 5.20 लाख रुपये की छात्रवृति के भुगतान की पुष्टि हुई.
सामाजिक सुरक्षा पेंशन से जुड़े मामलों की जांच के दौरान देर से पेंशन के भुगतान का मामला पाया गया. इससे सामाजिक सुरक्षा पेंशन के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पायी. नमूना जांच के लिए चुने गये आवेदनों में से 39 प्रतिशत आवेदकों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन के भुगतान में दो वर्षों से अधिक समय का विलंब हुआ. इससे सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं का लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका. वर्ष 2017-21 के दौरान योजना का सामाजिक अंकेक्षण नहीं कराने से शासन के न्यूनतम स्तर पर योजना के क्रियान्वयन का मूल्यांकन भी नहीं किया जा सका.