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झारखंड: राज्यपाल ने क्यों लौटाया स्थानीयता विधेयक, स्पीकर ने संदेश पढ़कर बताया, जानें क्या कहता है संविधान

राज्य सरकार के अधीन विशेष रूप से स्थानीय व्यक्तियों के लिए वर्ग-तीन और वर्ग-चार के पदों पर इस तरह के आरक्षण से स्थानीय व्यक्तियों के अलावा अन्य व्यक्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध है.

रांची : शुक्रवार को विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ. सत्र के पहले दिन 1932 आधारित झारखंडियों के पहचान से संबंधित विधेयक पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्ण के संदेश को सदन पटल पर रखा गया. सदन ने जाना कि राज्यपाल ने इस विधेयक (झारखंड स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 ) को किन आपत्तियों के साथ लौटाया है. विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने राज्यपाल का संदेश पढ़कर सुनाया. राज्यपाल ने ऑटर्नी जनरल की राय के साथ विधेयक झारखंड विधानसभा को लौटाया है. राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा है कि राज्य से बाहर के व्यक्तियों को नौकरी के लिए आवेदन देने से भी प्रतिबंधित करना संवैधानिक प्रावधान के अनुरूप नहीं है.

राज्यपाल ने संदेश में अटॉर्नी जनरल की राय का हवाला देते हुए कहा है कि वर्तमान विधेयक के माध्यम से राज्य सरकार के अधीन तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नियुक्तियां केवल स्थानीय व्यक्तियों के लिए आरक्षित होंगी. राज्य सरकार के अधीन विशेष रूप से स्थानीय व्यक्तियों के लिए वर्ग-तीन और वर्ग-चार के पदों पर इस तरह के आरक्षण से स्थानीय व्यक्तियों के अलावा अन्य व्यक्तियों पर पूर्ण प्रतिबंध है. राज्यपाल ने कहा : मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार के अंतर्गत तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के पदों पर आवेदन करने से स्थानीय व्यक्तियों के अलावा अन्य व्यक्तियों को प्रतिबंधित करना संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप नहीं हो सकता है.

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राज्यपाल ने अपने संदेश में पांच साल की समीक्षा की बात कही

राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा : मुझे लगता है कि पूर्ण प्रतिबंध के बजाय संवैधानिक रूप से सुरक्षित मार्ग यह होगा कि सभी मामलों में समान होने की स्थिति में स्थानीय व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जायेगी. हालांकि यह प्रावधान पांच साल की अवधि के बाद समीक्षा योग्य होगी. इससे स्थानीय व्यक्तियों के साथ भी न्याय होगा, जो अपने राज्य में ही रोजगार के अवसरों के बेहतर हकदार हो सकते हैं. राज्यपाल के संदेश के बाद सदन ने राज्य व देश-दुनिया से जुड़े दिवगंत विभूतियों को याद किया. शोक प्रकाश के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी. शीतकालीन सत्र में कांग्रेस के सांसद धीरज साहू से जुड़े विभिन्न ठिकानों से भारी मात्रा में कैश बरामदगी का मामला भी गरमाया. विपक्षी दलों ने सदन के बाहर इस मामले को लेकर प्रदर्शन किया. सदन के बाहर भाजपा विधायक तख्तियां लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. कांग्रेस व सत्ताधारी दलों से 500 करोड़ रुपये कैश का हिसाब मांग रहे थे.

राज्यपाल ने संविधान के इन धाराओं का दिया हवाला :

विधेयक की धारा 6-ए संविधान की धारा 14 और 16 (2) का उल्लंघन करती है. इसलिए यह अमान्य हो सकती है.

क्या कहता है संविधान :

संविधान की धारा-14 में भारतीय नागरिकों के लिए समता का अधिकार दिया गया है अथवा सारे नागरिक समान माने जायेंगे. धारा-16 के अनुसार भारतीय नागरिकों के मध्य जन्म स्थान, लिंग, निवास स्थान जाति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है. अनुच्छेद-16(2) के अनुसार सरकारी नाैकरियों के मामले में जन्म स्थान, निवास स्थान, लिंग, जाति आदि के आधार पर लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है.

अजीत कुमार,

राज्य के पूर्व महाधिवक्ता व वरीय अधिवक्ता, झारखंड हाइकोर्ट

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