Jharkhand Assistant Professor News रांची : झारखंड में अब विश्वविद्यालय व महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर की सीधी नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता कम से कम 55 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातकोत्तर उत्तीर्ण होना अौर पीएचडी की डिग्री हासिल करना अनिवार्य होगा. राज्य सरकार ने यूजीसी रेगुलेशन 2018 में निहित शिक्षक नियुक्ति के लिए न्यूनतम अर्हता को स्वीकार किया है. मंगलवार को कैबिनेट ने भी इस पर मुहर लगा दी है. झारखंड में अब यह नियम राज्यपाल की स्वीकृति के बाद अधिसूचना जारी होने की तिथि से ही लागू किया जायेगा.
संभावना जतायी जा रही है कि राज्यपाल से स्वीकृति मिलने के बाद यह नियम एक जुलाई 2021 से लागू कर दिया जायेगा. नये रेगुलेशन के मुताबिक, कोई अभ्यर्थी नेट पास भी हैं, तो उन्हें पीएचडी की डिग्री हासिल करनी होगी.
इसके अलावा नियुक्ति में यूजीसी नियमानुसार 11 जुलाई 2009 से पूर्व पीएचडी धारी को भी सशर्त छूट मिलेगी. उनके लिए अभ्यर्थी के पीएचडी शोध प्रबंध का मूल्यांकन कम से कम दो बाह्य परीक्षकों द्वारा किया गया हो. पीएचडी के लिए अभ्यर्थी की एक खुली मौखिक परीक्षा आयोजित की गयी हो. पीएचडी कार्य को दो अनुसंधान पत्रों में प्रकाशित किया गया हो.
जिनमें से कम से कम एक संदर्भ जर्नल में प्रकाशित किया हुआ हो. इसके अलावा सेमिनार में शोध पत्र प्रस्तुत किया गया हो. वैसे अभ्यर्थियों की नियुक्ति को प्राथमिकता मिलेगी, जिनका शैक्षणिक रिकॉर्ड बेहतरीन हो. 55 प्रतिशत के साथ संबंधित विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हो, लेकिन जहां ग्रेडिंग प्रणाली लागू हो, वहां प्वाइंट स्केल में समतुल्य ग्रेड मिला हो. शोध पत्र यूजीसी केयर लिस्ट में भी शामिल किया हो.
यही नियम वर्ष 2009 के बाद पीएचडी करनेवाले अभ्यर्थी के साथ भी लागू होगा. असिस्टेंट प्रोफेसर के साथ-साथ विवि व महाविद्यालयों में पुस्तकलायध्यक्षों, शारीरिक शिक्षा अौर खेलकूद निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए भी न्यूनतम अर्हता तय कर दी गयी है. इसके अलावा एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए भी न्यूनतम अर्हता पीएचडी व एपीआइ स्कोर (एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडीकेटर) जरूरी है. रिसर्च निर्देशन का साक्ष्य जरूरी है.
असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर में प्रोन्नति के लिए पीएचडी आवश्यक होगा. इसके अलावा सह शैक्षणिक गतिविधियां मसलन एनएसएस, एनसीसी, कल्चरल, सामाजिक कार्य में नेतृत्व, प्रशासनिक पदों पर कार्य, परीक्षा से संबंधित कार्य, शोध निर्देशन आदि जोड़े जायेंगे. अभ्यर्थी प्रोन्नति के लिए शिक्षक का सेमिनार, सिंपोजियम, व्याख्यानमाला आदि में सहभागिता, यूजीसी द्वारा स्वयं, मूक आदि में कम्यूनिकेशन मैटेरियल तैयार करना, शोध पत्र का जर्नल, बुक में प्रकाशन, शैक्षणिक अनुभव आदि को भी शामिल किया जायेगा.
राज्य सरकार शीघ्र ही यूजीसी रेगुलेशन 2010 को भी लागू करेगी. हालांकि राज्य में इस रेगुलेशन के पहले लागू होने की प्रतीक्षा की जा रही थी. इसके लागू होने से वर्ष 2009 से जून 2021 तक में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति, प्रोन्नति आदि में इसका उपयोग हो सकेगा. उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है. राज्य में जून 2021 तक विवि में होनेवाली नियुक्ति व प्रोन्नति में इस रेगुलेशन का इस्तेमाल किया जायेगा. झारखंड बनने के बाद वर्ष 2008 में नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसर को इस रेगुलेशन से ज्यादा लाभ मिलने की संभावना है.
Posted By : Sameer Oraon