राणा प्रताप
Jharkhand High Court News: झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने स्पीकर ट्रिब्यूनल के दल बदल मामले में बिना गवाही व बहस सुने फैसला जजमेंट पर रखने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने प्रार्थी बाबूलाल मरांडी व झारखंड विधानसभाध्यक्ष का पक्ष सुना. इसके बाद अदालत ने प्रार्थी का आग्रह स्वीकार करते हुए आइए याचिका के माध्यम से सारे तथ्यों को रिकॉर्ड पर लाने का निर्देश दिया.
आपकी बात याचिका में दर्ज नहीं
सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी से कहा कि आप जो कह रहे है, वह आपकी याचिका में दर्ज नहीं है. याचिका के बाहर के तथ्यों को आप सुनवाई में क्यों रख रहे हैं. इस पर प्रार्थी ने याचिका में सारे तथ्यों को जोड़ने के लिए अदालत से अनुमति देने का आग्रह किया. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 22 सितंबर की तिथि निर्धारित की.
पूर्व प्रतिवादी ने कहा- याचिका सुनवाई योग्य नहीं
इससे पूर्व प्रतिवादी झारखंड विधानसभाध्यक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता संजय हेंगडे व अधिवक्ता अनिल कुमार ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि प्रार्थी के दल-बदल मामले में ट्रिब्यूनल ने जजमेंट पर रखा है. ट्रिब्यूनल का आदेश किसी के भी पक्ष में आ सकता है. प्रार्थी के पक्ष में भी जा सकता है. अभी मामला प्री मेच्योर है. प्रार्थी को थोड़ा इंतजार करना चाहिए. यह भी कहा गया कि प्रार्थी की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसे खारिज किया जाना चाहिए. वहीं प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता विजय प्रताप सिंह व अधिवक्ता बिनोद साहू ने प्रतिवादी की दलील का विरोध किया.
ट्रिब्यूनल में नियम संगत नहीं हो रही सुनवाई
उन्होंने अदालत को बताया कि 10वीं अनुसूची के तहत दल बदल मामले की सुनवाई में झारखंड विधानसभा के स्पीकर के ट्रिब्यूनल ने बिना उनकी गवाही व बहस सुने ही केस को जजमेंट पर रख दिया है. उनके मामले में ट्रिब्यूनल में नियम संगत सुनवाई नहीं हो रही है. उन्होंने गवाही व बहस का अवसर देने के लिए आदेश देने का आग्रह किया. यह भी बताया गया कि ट्रिब्यूनल में मेंटनेबिलीटी पर आवेदन दिया गया था, लेकिन वहां कोई आदेश पारित नहीं किया गया है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने रिट याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि केस की जल्द सुनवाई हो, इसमें उन्हें किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है. उनकी गवाही व बहस को सुना जाये, उसके बाद ट्रिब्यूनल अपना फैसला सुनाये