रांची: 16 अक्तूबर से झारखंड के बालू घाटों से बालू की निकासी पर लगी रोक हट जायेगी. लेकिन, अब भी राज्य के ज्यादातर बालू घाटों का टेंडर नहीं हो पाया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) की ओर से हर साल मॉनसून के दौरान 10 जून से 15 अक्तूबर तक बालू के उठाव पर रोक लागू रहती है. हालांकि, इस दौरान भी राज्य के कई बालू घाटों से अवैध तरीके से बालू की निकासी होती रही है. राज्य में 435 बालू घाट हैं. इनमें से अब तक केवल 28 घाटों का टेंडर हो पाया है. इन घाटों से बालू निकासी के लिए झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) द्वारा माइंस डेवलपर ऑपरेटर(एमडीओ) का चयन किया जा चुका है. यानी रोक हटने के बाद से केवल 28 घाटों से वैध तरीके से बालू की निकासी की जा सकती है. शेष 413 घाटों से यदि बालू निकाला जाता है, तो वह अवैध ही कहलायेगा.
जेएसएमडीसी द्वारा बालू घाटों से बालू निकालने की दर 83 रुपये प्रति घनमीटर(एमक्यू) रखा गया था. इस आधार पर जिलों में चयनित माइंस डेवलपर ऑपरेटर(एमडीओ) के बीच फायनेंशियल टेंडर निकाला गया. पर टेंडर में चयनित एमडीओ सरकार द्वारा निर्धारित दर से काफी कम दर कोट किया जा रहा था. इस कारण जिलों में टेंडर पर रोक लगा दी गयी. कहा गया कि मॉनसून के दौरान एक मानक रेट तय कर टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.
ताकि 16 अक्तूबर से सभी बालू घाटों से वैध तरीके से बालू की निकासी हो सके. अब मॉनसून भी समाप्त हो गया और 16 अक्तूबर से रोक भी हट जायेगी. पर न तो दर तय हो सकी है और न ही बालू घाटों के लिए टेंडर ही जारी किया गया. विभागीय सूत्र कहते हैं कि एक बार फिर से राज्य में अवैध रूप से बालू की निकासी और उसे बाजार में ऊंची दर पर बेची जायेगी. वर्तमान में 22 हजार से लेकर 30 हजार रुपये प्रति हाइवा बालू की दर है.