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नियोजन नीति के विरोध में आदिवासी संगठनों का 10 अप्रैल का झारखंड बंद वापस, अनिश्चितकालीन चक्का जाम भी स्थगित

Jharkhand Bandh News| झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने की मांग करते हुए आदिवासी संगठनों ने 10 अप्रैल 2023 को झारखंड बंद का आह्वान किया था. इस बंद को वापस ले लिया गया है. आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने 9 अप्रैल को यह जानकारी दी.

Jharkhand Bandh News: झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने की मांग के समर्थन में आदिवासी संगठनों ने 10 अप्रैल 2023 को झारखंड बंद (Jharkhand Bandh) का आह्वान किया था. इस बंद को वापस ले लिया गया है. आदिवासी सेंगेल अभियान (Adivasi Sengel Abhiyan) के प्रमुख एवं पूर्व सांसद सालखन मुर्मू (Salkhan Murmu) ने 9 अप्रैल को यह जानकारी दी. सालखन मुर्मू ने इसके साथ ही यह भी कहा है कि 11 अप्रैल से सरना धर्म कोड और मरांग बुरु बचाओ समेत कई मांगों के समर्थन में 5 राज्यों में अनिश्चितकालीन चक्का जाम का फैसला किया गया था. उसे भी फिलहाल स्थगित किया जाता है.

सालखन मुर्मू ने किया बंद वापस लेने का ऐलान

सालखन मुर्मू ने रविवार को बताया प्रखंडवार नियोजन नीति को लागू करने और कराने की मांग के समर्थन में आदिवासी सेंगेल ने 10 अप्रैल 2023 को झारखंड बंद का आह्वान किया था. फिलहाल इस बंद को वापस लिया जाता है. उन्होंने कहा कि बंद तो वापस लिया जा रहा है, लेकिन प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करने के समर्थन में सेंगेल का आंदोलन लगातार जारी रहेगा. इसके तहत हर प्रखंड में विरोध प्रदर्शन किया जायेगा. सेंगेल और आदिवासी संगठनों के समर्थक धरना-प्रदर्शन भी करेंगे.

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झारखंड बंद पर बाद में होगा फैसला

आदिवासी सेंगेल अभियान के प्रमुख श्री मुर्मू ने कहा कि गहन विचार-विमर्श के बाद झारखंड बंद बुलाने पर भी उचित समय पर फैसला किया जायेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 11 अप्रैल से पांच राज्यों में अनिश्चितकालीन चक्का जाम का फैसला भी फिलहाल स्थगित किया जाता है. बता दें कि पहले उन्होंने घोषणा की थी कि 11 अप्रैल 2023 से झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा समेत देश के 5 राज्यों में अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम किया जायेगा.

सेंगेल की घोषणा से 5 राज्यों की सरकारों के लिए बड़ी राहत

उल्लेखनीय है कि आदिवासी सेंगेल अभियान लगातार मांग कर रहा है कि सरना धर्म कोड को लागू किया जाये. साथ ही पारसनाथ की पहाड़ी को बचाने का भी आदिवासी संगठन अभियान चला रहे हैं. पारसनाथ पहाड़, जिसे आदिवासी मरांग बुरु कहते हैं, उसे आदिवासियों के सुपुर्द करने की मांग की जा रही है. पारसनाथ आदिवासियों के साथ-साथ जैन धर्मावलंबियों की भी आस्था का केंद्र है. पिछले दिनों इस पहाड़ को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनातनी की नौबत आ गयी थी. बहरहाल, सेंगेल की इस घोषणा से सरकारों को बड़ी राहत मिली होगी.

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