रांची : झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने बुधवार को झारखंड बंद (Jharkhand Bandh) अह्वान किया था. जिसका मिला जुला असर देखने को मिला है. कई जिलों में इसका कोई असर देखने को नहीं मिला तो वहीं कहीं कहीं पर इसका हल्का प्रभाव देखने को मिला. बोकारो, गुमला पलामू के कई इलाकों में सड़क जाम कर दिया गया. जिससे राहगीरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. कुछ समय के लिए वाहनों का परिचालन थम गया.
बोकारो और गुमला के इन इलाकों में रहा सड़क जाम
बोकारो के चास जोधाडीह मोड़ और जैनामोड़ फोरलेन समेत कई स्थानों पर आंदोलनकारियों ने सड़क जाम कर दिया. सुबह 6 बजे से वे सड़कों पर जाकर बैठ गये. वहीं, गुमला के झारखंड और छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर स्थित माझाटोली गांव व पालकोट, बसिया, और भरनो नेशनल हाईवे को दोपहर एक बजे तक जाम कर दिया गया था. सभी आंदोलनकारी सुबह में ही अपने पारंपरिक हथियार लेकर सड़कों पर उतर आए. जबकि खूंटी में इसका बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिला. सभी दुकानें आम दिनों की तरह खुली रही. वाहनों की आवाजाही भी सामान्य दिनों की तरह रही.
बोकारो में बंद का क्या असर रहा
झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के सदस्यों ने बोकारो के चास जोधाडीह मोड़ चौक पर सुबह छह बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक जाम रखा. आंदोलनकारियों ने ढोल नगाड़े के साथ राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान जमकर जारेबाजी की. मोर्चा के सदस्यों ने आवश्यक सेवाओं को छोड़कर चास में मौजूद सभी दुकानों को बंद कराया. दोपहर तक मेडिकल, दूध व फल – सब्जी का दुकान छोड़कर ज्यादातर दुकान भी बंद रहा. जोधाडीह मोड़ चौक जाम होने के कारण धनबाद, चंदनकियारी व पुरुलिया मुख्य पथ पर भारी वाहनों की लंबी कतार लग गई.
पलामू के किस इलाके में आंदोलनकारियों ने किया सड़क जाम
पलामू के रेड़मा चौक पर कुछ देर आंदोलनकारियों ने सुबह में सड़क जाम कर दिया. जिससे कुछ देर तक वाहनों का परिचान ठप हो गया. बाद में पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और सड़क जाम कर रहे लोगों को थाने ले आई. वहीं, लातेहार की बता करें तो वहां बंद कोई भी असर देखने को नहीं मिला. आम दिनों की तरह दुकानें व सड़कें गुलजार रही. गिरिडीह में भी यही स्थिति देखने को मिली.
किस वजह से बुलाया गया था बंद
झारखंड बंद का आह्वान करने वाले लोगों का कहना था कि अलग राज्य करने अहम भूमिका निभाने वाले आंदोलनकारियों को आज भी सम्मान सहित अन्य मांगों को लेकर जूझना पड़ रहा है. सूबे में झारखंड मुक्ति मोर्चा का ही शासन है. कई बार घोषणाएं तो की जाती है, लेकिन उस पर अमल अब तक नहीं हुआ है. आंदोलनकारियों की मांग है कि उन्हें 50 हजार रुपये मासिक पेंशन देने समेत आश्रितों को सरकारी नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के साथ-साथ मेडिकल, यात्रा सहित मूलभूत सुविधाएं मुहैया करायी जाए.
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