रांची : केवल दूध उत्पादन के क्षेत्र में अगर झारखंड आत्मनिर्भर हो जाये, तो यहां के पांच लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है. राज्य में प्रतिदिन कुल 58 लाख लीटर के आसपास दूध का उत्पादन होता है. यहां की जरूरत करीब 73 लाख लीटर दूध की है. अगर इस कमी को पूरा कर लिया जाये, तो लाखों लोगों को रोजगार मिल सकता है. राज्य में अभी करीब 1.50 लाख लीटर दूध मेधा डेयरी प्रोसेस कर रहा है. झारखंड मिल्क फेडरेशन मेधा ब्रांड के नाम से यहां के पशुपालकों से दूध इकट्ठा कर प्रोसेसिंग करती है. इससे करीब एक लाख लोग प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े हुए हैं. करीब 20 हजार पशुपालक सीधे इस संस्था को दूध दे रहे हैं. इनके बीच 12 से 15 करोड़ के बीच का भुगतान प्रतिमाह हो रहा है. राज्य में करीब 7.50 लाख लीटर प्रोसेस दूध का उपयोग हो रहा है.
इसमें करीब पांच लाख लीटर दूध अभी दूसरे राज्यों से आ रहा है. इन राज्यों को करीब 700 करोड़ हर साल झारखंड से दिया जा रहा है. इसको रोक दिया जाये, तो झारखंड की अर्थव्यवस्था में 700 करोड़ रुपये का योगदान हो सकेगा. सरकार आज जानवर खरीद कर दे, दूसरे दिन से कमाई झारखंड मिल्क फेडरेशन के प्रबंध निदेशक सुधीर कुमार सिंह कहते हैं कि प्रवासी मजदूर हमारी ताकत हो सकते हैं. इनको तुरंत रोजगार देने का सबसे बढ़िया जरिया पशुपालन हो सकता है. सरकार अगर इनको आज जानवर खरीद कर दे, तो दूसरे दिन से इनकी कमाई होने लगेगी. झारखंड में दूध के बाजार की कमी नहीं है.
राज्य सरकार और मिल्क फेडरेशन मिल कर जल्द ही तीन प्लांट शुरू करनेवाले हैं. साहेबगंज, सारठ और पलामू में 50-50 हजार लीटर दूध का प्रोसेसिंग प्लांट तैयार होनेवाला है. इन प्लांट के शुरू होने के बाद दूध की जरूरत होगी. केवल साहेबगंज में तीन लाख लीटर से अधिक दूध संग्रहण की संभावना है. सरकार केवल दुग्ध सेक्टर को थोड़ा प्रोत्साहित करे, तो रोजगार की कमी नहीं है. यहां के देसी गाय के दूध की गुणवत्ता बहुत अच्छी है. राज्य में ज्यादा जानवर होंगे, तो उन्हें जैविक खेती से भी जोड़ा जा सकता है.
मात्र छह साल में 20 हजार किसान परिवारों को हुआ लाभ झारखंड मिल्क फेडरेशन के आने से पहले यहां राज्य सरकार अपने स्तर से डेयरी प्लांट चला रही थी. राज्य सरकार पूरे राज्य से करीब 11 हजार लीटर ही दूध का संग्रहण करती थी. छह साल में राज्य में करीब 1.50 लाख लीटर दूध का संग्रहण हो रहा है. करीब 20 हजार किसान सीधे इस काम से जुड़े हुए हैं. इसके पीछे एक बड़ा सप्लाई चेन भी काम कर रहा है. इस दौरान राज्य सरकार के सहयोग से होटवार में एक लाख लीटर प्रोसेसिंग क्षमता का एक प्लांट भी लगाया गया है.
झारखंड में दूध उत्पादन की स्थिति
(लाख लीटर वार्षिक) वर्ष उत्पादन
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2014-15 17.34
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2015-16 18.12
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2016-17 18.94
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2017-18 20.16
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2018-19 21.83
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2019-20 24.72
(स्रोत : भारत सरकार का पशुपालन विभाग)