दिल्ली में बन रहे झारखंड भवन की गुणवत्ता पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असंतोष जताया है. मंगलवार को दिल्ली प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निर्माणाधीन झारखंड भवन का निरीक्षण किया. उन्होंने कांफ्रेंस हॉल, डाइनिंग हॉल, मुख्यमंत्री कक्ष, गेस्ट रूम, गवर्नर सुइट समेत सभी सात फ्लोर का जायजा लिया. भवन की सुरक्षा और अतिथियों की सुविधा के लिए किये जा रहे इंतजाम को भी श्री सोरेन ने नाकाफी बताया.
भवन की गुणवत्ता, सुरक्षा व अतिथियों की सुविधा के लिए आवश्यक बदलाव करने के निर्देश दिये. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने भवन के डीपीआर को मानकों के अनुरूप नहीं बताते हुए जिम्मेवार पदाधिकारी को चिह्नित करने का निर्देश दिया. कहा कि इंजीनियर का काम केवल परामर्शी द्वारा तैयार किये गये डीपीआर पर हस्ताक्षर करना नहीं है. बिना जरूरी सुधार किये डीपीआर पास करनेवाले इंजीनियर पर भी कार्रवाई को भी कहा.
निरीक्षण के बाद मुख्यमंत्री ने भवन निर्माण विभाग के अधिकारियों, सलाहकार और कार्यान्वयन एजेंसियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए नाराजगी जतायी. उन्होंने भवन निर्माण के लिए जिम्मेवार अधिकारियों व परामर्शियों की भूमिका की जांच करने का निर्देश दिया. भवन निर्माण सचिव सुनील कुमार को 15 दिनों के अंदर जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया.
कहा कि निर्माण कार्य में किसी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं है. गड़बड़ी करनेवालों को बख्शा नहीं जायेगा. वहीं, सचिव ने बताया कि कोविड संक्रमण और तकनीकी चुनौतियों की वजह से झारखंड भवन निर्माण कार्य में विलंब हुआ है. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड भवन के निर्माण कार्य की गुणवत्ता को अपनी पहचान स्थापित करने का प्रयास होना चाहिए. मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, प्रधान स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा व अन्य उपस्थित थे.
दिल्ली के कनॉट प्लेस में 70 डिसमिल जमीन पर सात फ्लोर का नया झारखंड भवन बनाया जा रहा है. दिल्ली में नये झारखंड भवन का शिलान्यास वर्ष 2016 में ही किया गया था. अत्याधुनिक तकनीक वाले निर्माण को पूरा करने के लिए दो वर्षों का समय निर्धारित किया गया था. लेकिन, पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक काम अधूरा है. लगभग 70 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा झारखंड भवन पूरी तरह पांच सितारा ग्रीन बिल्डिंग व जीरो एनर्जी होगा.
टर्न की बेसिस पर किये जा रहे झारखंड भवन के निर्माण और पूर्ण सुसज्जीकरण पर लगभग 100 करोड़ रुपये का व्यय होने का आकलन किया गया है. झारखंड भवन के ग्राउंड फ्लोर पर उत्कृष्ट कोटि का रेस्तरां तथा इंडस्ट्रियल रसोई तैयार किया जाना है. पहले तल पर मुख्यमंत्री, स्थानिक आयुक्त, अपर स्थानिक आयुक्त आदि का कार्यालय और एक कन्वेंशन हॉल होगा. इसमें 100 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी.
झारखंड भवन में कुल 72 कमरे होंगे. एक फ्लोर पर मुख्यमंत्री तथा राज्यपाल के लिए विशेष सुईट होगा. इसके अलावा न्यायाधीश व अन्य अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिए भी दो सुईट बनाये जायेंगे. भवन के भूतल में 117 वाहनों की पार्किंग की विशेष व्यवस्था होगी. सुरक्षा के लिए भवन में एक्सेस कंट्रोल तथा सीसीटीवी लगाया जाना है.
अभियंताओं ने नयी दिल्ली में बन रहे झारखंड भवन के डीपीआर में डिजाइन की अनदेखी की. अभियंताओं ने डीपीआर में इलेक्ट्रिक के महत्वपूर्ण कार्य छोड़ दिये थे. इसे संशोधित करने में अनावश्यक विलंब हुआ. डीपीआर में स्टोन क्लेडिंग का कार्य भी छोड़ दिया गया था. डिजाइन में भवन की फर्श और दीवार पर स्टोन के कार्य कराने का प्रावधान होते हुए भी उसे डीपीआर में छोड़ दिया गया था. एसी इंस्टॉल करने में भी सिस्टम का पालन नहीं किया गया था. भवन में यूरोपियन देशों की तर्ज पर एसी इंस्टॉल करने का प्रावधान किया गया था. लेकिन, मौसम गर्म होने की वजह से दिल्ली जैसे शहर के लिए यह कारगर नहीं है.