रांची, सतीश कुमार:
ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के कर्मी बिनोद दास की नियुक्ति के मामले में इंजीनियरों ने तथ्यों को छिपाया है. इसकी जानकारी दो अलग-अलग रिपोर्ट मिलने पर हाइकोर्ट के आदेश पर बनी विभागीय जांच कमेटी को मिली है. इस कारण हाइकोर्ट में विभाग को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा.
यहां बताते चलें कि हाइकोर्ट के आदेश पर पेयजल स्वच्छता विभाग के अपर सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनायी गयी थी. कमेटी ने समीक्षा में पाया कि पेयजल एवं स्वच्छता यांत्रिक अवर प्रमंडल झुमरीतिलैया के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता होरेन कच्छप ने बिना छानबीन किये कार्यपालक अभियंता हजारीबाग को गलत सूचना दी कि बिनोद दास वीडब्ल्यूएससी के अधीन कार्यरत हैं, जो कालांतर में गलत पाया गया.
साथ ही उपस्थिति विवरणी में इनके स्थान पर किसी और का हस्ताक्षर होने की बात भी छिपा दी गयी. इनके गलत प्रतिवेदन के कारण जटिलता उत्पन्न हुई. कमेटी ने यह भी पाया कि तत्कालीन कनीय अभियंता निर्मल भगत ने भी इस संबंध में गलत सूचना दी. प्रथम दृष्टया आरोप सही पाये जाने के बाद विभाग ने इन दोनों इंजीनियरों के खिलाफ आरोप पत्र गठित करते हुए विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की है.
बिनोद दास ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार झा की रिपोर्ट का हवाला देते हुए 16 दिसंबर 2014 से 31 जनवरी 2018 तक के मानदेय भुगतान के लिए निर्देश देने का आग्रह किया है.
इस मामले में एक अन्य अधीक्षण अभियंता शंकर दास की रिपोर्ट का हवाला देकर कहा गया है कि बिनोद दास की नियुक्ति फर्जी दस्तावेज के आधार पर हुई है. एक ही मामले में विभागीय अधीक्षण की ओर से दो अलग-अलग रिपोर्ट मिलने के बाद अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लिया. साथ ही पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव को छह माह में जांच कमेटी गठित कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.
पूछा है कि इन दोनों अधीक्षण अभियंता की रिपोर्ट में कौन सही है. अगर तत्कालीन अधीक्षण अभियंता अनिल कुमार झा की रिपोर्ट सही नहीं है, तो क्या उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गयी है.
दोनों इंजीनियरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के संचालन के लिए सेवानिवृत्त आइएएस अरविंद कुमार को जांच संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है. विभागीय पक्ष रखने के लिए अवर सचिव नवनीत कुमार को जिम्मेवारी दी गयी है. जांच संचालन पदाधिकारी को इस मामले में जांच कर 105 दिनों में अपना प्रतिवेदन विभाग को उपलब्ध कराने कहा गया है. वहीं आरोपी इंजीनियरों को 15 दिनों में अपना लिखित पक्ष करने का निर्देश दिया गया है.