राजभवन के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी से नाराज हुई BJP, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री पर की कार्रवाई की मांग

भाजपा ने कहा कि स्पीकर ने झामुमो के मंच व बैनर के नीचे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीधे राजभवन पर गंभीर आरोप लगाये, यह पूरी तरह उनके पद की गरिमा, मर्यादाओं के खिलाफ है

By Prabhat Khabar News Desk | June 28, 2023 9:33 AM

विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री व संवैधानिक पदों बैठे लोगों की ओर से राजभवन के खिलाफ की जा रही अमर्यादित टिप्पणी के विरोध में भाजपा के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की. साथ ही असंवैधानिक टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए विधिसम्मत कार्रवाई करने का आग्रह किया. भाजपा नेताओं ने ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री व सरकार में संवैधानिक पद पर बैठे लोगों के द्वारा लगातार असंसदीय और असंवैधानिक वक्तव्य दिये जा रहे हैं.

जिस प्रकार से स्पीकर ने झामुमो के मंच व बैनर के नीचे झामुमो कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीधे राजभवन पर गंभीर आरोप लगाये, यह पूरी तरह उनके पद की गरिमा, मर्यादाओं के खिलाफ है. विधानसभा अध्यक्ष का पद दल और राजनीति से परे, निष्पक्ष होता है. परंतु झारखंड के वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा सारी मर्यादाओं का उल्लंघन किया जा रहा है.

किसी भी विधेयक पर सरकार से विधि सम्मत जानकारी प्राप्त करना, राज्य हित में विधि सम्मत निर्णय लेना यह राज्यपाल का संवैधानिक दायित्व है. ऐसा कोई पहली बार नहीं, बल्कि पहले भी कई विधेयकों के साथ हुआ है. पूर्व में मुख्यमंत्री ने भी सदन में राजभवन के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी की है.

प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश, आदित्य साहू, डॉ प्रदीप वर्मा, बालमुकुंद सहाय, विधायक सीपी सिंह व प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक शामिल थे. वहीं, भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री व रांची की पूर्व मेयर डॉ आशा लकड़ा ने स्पीकर की ओर से राजभवन पर टिप्पणी किये जाने पर आपत्ति जतायी है.

स्पीकर का बयान निंदनीय: बाबूलाल

बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि राज्यपाल के खिलाफ स्पीकर रबींद्रनाथ महतो द्वारा की गयी सतही टिप्पणी निंदनीय है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में संवैधानिक संस्थाओं को एक दूसरे का परस्पर सम्मान करना चाहिए. राजनीतिक छींटाकशी में और कृत्य से किसी गलत परंपरा की नींव नहीं रखी जानी चाहिए. सबकी अपनी लक्ष्मणरेखा है. लोकतंत्र और संविधान को चुनौती देना अस्वीकार्य है.

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