स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण, वन, खाद्य आपूर्ति और उद्योग विभाग की अनुदान मांग पर सोमवार को चर्चा हुई. चर्चा की शुरुआत में भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही आक्रामक हो गये. शाही ने कहा कि कौन सी मशीन से नापा है कि हम मर्द हैं या नहीं. अगर राजनीतिक मर्दानगी है, तो मंत्री आजमा लें. हम मोरहाबादी मैदान में आजमाने के लिए तैयार हैं.
पानी-पानी कर देंगे. मंत्री को जवाबदेही से काम करना चाहिए. सत्ता, शासन और जवानी तीनों बराबर नहीं रहती है. अगली बार मंत्री के हाड़ में हल्दी नहीं लगने वाली है. रिम्स की स्थिति देख लीजिए. आज नाक पर बिना रुमाल रखे प्रवेश नहीं कर सकते हैं. बहाली की बात करते हैं, नियोजन नीति का पता ही नहीं है. 7880 स्वीकृत पद में 1800 पद पर ही आदमी है.
वहीं सरकार का जवाब देते हुए बन्ना गुप्ता ने कहा कि अब भानु हमको सिखायेंगे. छलनी सूप से कहेगा कि छेद है. डबल इंजन की सरकार में कुछ कर नहीं पाये, तो अब बोल रहे हैं. हम मर्द हैं, इस कारण यहां बैठे हुए हैं. डॉ लंबोदर महतो कौन सा डॉक्टर हैं, पता नहीं है. लगता है कि सर्जरी पढ़ कर आये हैं. वह बता रहे हैं कि मरीज का कैसे इलाज करना है.
समरी लाल से पूछ कर तय करना होगा कि रिम्स में कौन विभाग कहां होगा. विपक्ष को पता होना चाहिए कि शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर में सुधार हुआ है. संस्थागत प्रसव बढ़ा है. केंद्र से जो पीएम केयर से वेंटीलेटर मिला था, वह ठीक नहीं है. इस कारण उसका उपयोग नहीं हो रहा है. चर्चा के बीच विपक्ष ने सदन का बहिष्कार कर दिया. विपक्ष के बहिष्कार के बीच स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग का 70 अरब, 40 करोड़ 90 लाख 21 हजार रुपये का बजट ध्वनिमत से पारित हो गया.
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो और भाजपा विधायक सीपी सिंह के कहा-सुनी हुई़ स्पीकर श्री महतो विधायक श्री सिंह के बार-बार टोका-टोकी से नाराज थे. सीपी सिंह कई सवालों पर अपनी बात रखना चाहते थे़ एक बार वह खड़ा होकर अपनी बात कहने के लिए अड़ गये.
स्पीकर बार-बार उन्हें बैठने के लिए कह रहे थे़ सीपी सिंह का कहना था प्रश्न पूरे हाउस का है़ हमको देखने का अधिकार है़ स्पीकर ने कहा कि हर चीज पर खड़ा हो जाते है़ं आपकी मंशा केवल व्यवस्था को छोटा दिखाने की है़ सीपी सिंह का कहना था कि विधानसभा की कार्यवाही चलाने में भारी-भरकम खर्च होता है़ एक मिनट में कितना पैसा लगता है़ यह आम लोगों के टैक्स का पैसा है़ विधायकों को उनके सवालों का जवाब ऑन लाइन मिल जाना चाहिए़ उनके आवास के पते पर पहुंचाया जाना चाहिए, लेकिन यहां देख लेंगे, दिखा लेंगे़ मिल जायेगा, बोल देता हू़ं, मिल लीजिए यह सब नहीं होना चाहिए.