झारखंड: कैबिनेट विस्तार के उलझन में फंसी झामुमो-कांग्रेस, मंत्री पद को लेकर इन नामों की चर्चा जोरों पर

प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय, पूर्णिमा नीरज सिंह, अनूप सिंह जैसे नेताओं की अपनी लॉबिंग है. कांग्रेस के अंदर भूषण बाड़ा का भी नये चेहरे में तेजी से नाम चल रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 14, 2024 5:29 AM

रांची : चंपाई सोरेन सरकार 16 फरवरी को कैबिनेट विस्तार करेगी. मंत्री पद को लेकर सत्ता पक्ष में राजनीतिक सरगरमी तेज है. झामुमो और कांग्रेस के आठ मंत्रियों को चंपाई सोरेन की सरकार में जगह मिलना है. कांग्रेस के कोटे से तीन मंत्रियों के लिए जगह तय है. कांग्रेस के अंदर मंत्री पद को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. कांग्रेस आलाकमान पुराने चेहरे पर ही भरोसा करे या फिर नये को कमान दे, इसी पेच में फंसा है. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम सहित कई नेता पुराने मंत्रियों के साथ आगे बढ़ने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. प्रदेश के कई नेताओं का मानना है कि पांच-छह महीने के लिए पार्टी को किसी भी बदलाव की ओर नहीं जाना चाहिए. वहीं हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री रहे नेताओं ने दिल्ली दरबार तक अपनी बात पहुंचायी हैं.

इधर मंत्री पद को लेकर पार्टी के अंदर कई नामों पर चर्चा हो रही है. प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय, पूर्णिमा नीरज सिंह, अनूप सिंह जैसे नेताओं की अपनी लॉबिंग है. कांग्रेस के अंदर भूषण बाड़ा का भी नये चेहरे में तेजी से नाम चल रहा है. कांग्रेस सूत्रों के अनुसार अगर हेमंत सोरेन के मंत्रियों को ड्राप किया जायेगा, तो उसमें डॉ रामेश्वर उरांव और बन्ना गुप्ता का नाम तेजी से चल रहा है. हालांकि ये फिलहाल अटकल है. पत्ता कांग्रेस आलाकमान को खोलना है. इधर झामुमो कोटे से मंत्री पद के लिए बसंत साेरेन का नाम सबसे आगे हैं. श्री सोरेन का कैबिनेट में शामिल होना तय माना जा रहा है. सीता सोरने के नाम पर संशय है. राजनीतिक सूत्रों के अनुसार शिबू सोरेन परिवार से दो लोगों को शायद ही कैबिनेट में जगह मिल पाये. झामुमो में मिथिलेश ठाकुर और जोबा मांझी का बर्थ सुरक्षित माना जा रहा है. झामुमो सुदिव्य कुमार सोनू, स्टीफन मरांडी के नाम पर दांव चल सकता है.

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लोकसभा चुनाव के संभावित उम्मीदवार को मंत्री बनाना नहीं चाहती कांग्रेस

कांग्रेस के अंदर एक फॉर्मूला पर काम किया जा रहा है. लोकसभा चुनाव के संभावित उम्मीदवारों को मंत्री नहीं बनाने पर विचार किया जा रहा है. पार्टी का मानना है कि दमदार उम्मीदवारों को सरकार से दूर रखा जाये. इनको चुनावी मैदान में ही झोंका जाये.

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