लाइफ रिपोर्टर @ रांची : क्रिसमस का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, लोगों का उत्साह बढ़ता जा रहा है. खास कर युवा एक-दूसरे से खुशियां बांटने की कोशिश में जुटे हैं. हर जगह गैदरिंग कर यीशु के आने का संदेश दिया जा रहा है. राजधानी के विभिन्न चर्चों में गाने के अलावा कैरोल ग्रुप घर-घर जाकर प्रभु के आगमन का शुभ संदेश पहुंचा रहे हैं. इन ग्रुप में कैरोल गानेवाले एक से दो लोग ही होते हैं, जो सालों से कैरोल गा रहे है. इसमें चलो-चलो रे बैतलहम गीत काफी पसंद किया जा रहा है.
प्रभात खबर ने लोगों से कैरोल की महत्ता पर बातचीत की
बेथेसदा कंपाउंड निवासी स्वर्णलता बिलुंग कहती हैं कि वह बचपन से ही कैरोल गा रही हैं. आसपास के हर घर में कैरोल गाकर यीशु का संदेश देती हैं. प्रभु के निकट आने के बारे में कैरोल गाकर बताती हैं. उन्हें कैरोल गाना काफी पसंद है. चर्च में भी जाकर गाती हैं. हिंदी और इंग्लिश दोनों ही भाषाओं में कैरोल गाती हैं. कैरोल गीत कई पुराने भी हैं और कई गीत गुरुओं से सीखते भी हैं. 24 और 25 दिसंबर को कैरोल गाने की खुशियां दोगुनी हो जाती हैं.
क्रिसमस कैरोल गाकर पहुंचाते हैं प्रेम का संदेश
आशा तिग्गा, बरियातू कहती हैं कि क्रिसमस कैरोल से यीशु मसीह के जन्म की खुशी और प्रेम संदेश को लोगों तक आंनददायक भजन और गीतों से पहुंचाया जाता है. यह दिसंबर महीने के पहले सप्ताह से शुरू हो जाता है. पूरी दुनिया में क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो गयी हैं. इस क्रिसमस पर भी हम चर्च के लोगों के साथ कैरोल गीतों आया मसीह दुनिया में तू पापियों को बचाने को…, ज्वाय टू द वर्ल्ड… के माध्यम से प्रेम का संदेश पहुंचा रहे हैं. लोगों की कुशलता के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. हम भी चर्च कोयर के साथ मिल कर कैरोल गाते हैं. चर्च के अलावा चर्च से जुड़े लोगों के घर जाकर कैरोल के माध्यम से प्रभु के संदेश को पहुंचाते हैं.
छोटी उम्र से गा रहे हैं कैरोल
मिशन कंपाउंड में रहनेवाले विनय जोजोवार कहते हैं कि वह बहुत छोटी उम्र से क्रिसमस पर कैरोल गा रहे है. प्रभु के संदेश को लोगों तक पहुंचा रहे हैं. कैरोल गाना उन्हें दादी ने सिखाया और अब सालों से कैरोल गाते ही चले आ रहे हैं. चर्च और गैदरिंग सहित अन्य क्रिसमस कार्यक्रम में हिंदी और सादरी में कैरोल गाते हैं. प्रभु के आगमन का संदेश लोगों तक पहुंचाते हैं. क्रिसमस की तैयारियां भी चल रही हैं. साथ ही कई गीत भी रिकॉर्ड किये गये हैं.
कैरोल प्रतियोगिता में लेते हैं हिस्सा
खेलगांव निवासी अमनदीप कुजूर ने बताया कि वह 2016 से सहिया बैंड के साथ जुड़कर कैरोल गाया करते थे. लेकिन धीरे-धीरे समय बदला और ग्रुप भी बदला. अब चर्च के युवा समूह व सिस्टर के साथ कैरोल प्रैक्टिस करके कैरोल प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं. क्रिसमस में हर शनिवार को घर-घर जाकर कैरोल गाते हैं. वहीं रविवार की शाम में चर्च में जाकर कैरोल गाते हैं. उन्होंने कैरोल गाना मृणाल गुरु से सीखा है.
बचपन से कैरोल गाने का शुरू हुआ सफर
कांटाटोली निवासी स्वीटी विद्या कहती हैं कि बचपन से ही उन्हें गाने का शौक था. 2017-18 में स्टेज परफॉरमेंस किया. इसके बाद कैरोन गाने का सफर शुरू हो गया. क्रिसमस में चर्च और गैदरिंग में कैरोल गाती हैं. कई कैरोल गीत लिखकर अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड भी किया है. चला रहे जबइ बैतलहम गांव… कैरोल गीत पहला था. इसे सोशल मीडिया पर अपलोड भी किया है. इसके अलावा कई कैरोल गीत लिखकर गाया है. इसमें टीम टीम… गावा ग्लोरिया… उनके यूट्यूब चैनल स्वीटी विद्या ऑफिशियल पर अपलोड किया गया है. क्रिसमस पर जगह-जगह कैरोल गाकर पेश भी कर रही हैं.