Jharkhand Political News: झारखंड की राजनीति में भूचाल आया है. राज्यपाल रमेश बैस ने मुख्यमंत्री द्वारा अनगड़ा में माइनिंग लीज लेने के मामले में उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द करने का फैसला सुनाया है. राज्य की राजनीति अब नयी करवट लेगी. इस राजनीतिक उठापटक में यूपीए गठबंधन की अग्नि परीक्षा होनी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना होगा. राज्यपाल मौका देते हैं, तो यूपीए को नया नेता चुनना होगा.
यूपीए को दिखानी होगी एकजुटता
यूपीए को अपनी एकजुटता दिखानी होगी. हेमंत सोरेन फिर विधायक दल के नेता बन सकते हैं और सरकार बनाने की दावेदारी कर सकते हैं. हालांकि यह सब कुछ राज्यपाल पर निर्भर करेगा़ परिस्थिति जो भी हो, झारखंड की राजनीति में नयी बिसात बिछेगी. यूपीए के अंदर भी सरगरमी बढ़ेगी. फिलहाल आंकड़ा यूपीए के पक्ष में है़ लेकिन भाजपा झारखंड में एक कोण बनाने में जुट सकती है. भाजपा ने जोर लगाया, तो झारखंड की राजनीति में नया रोमांच होगा. राज्य में सरकार को लेकर पहले भी खेल हुए हैं. कांग्रेस के विधायक सॉफ्ट टारगेट बन सकते हैं. कांग्रेस के तीन विधायक कैश कांड में कोलकाता में है़ं
नयी कैबिनेट के लिए हो सकती है लॉबिंग
यूपीए के अंदर भी दिल्ली से रांची तक राजनीति गरम होने वाली है. हेमंत सोरेन की वर्तमान सरकार के साथ कैबिनेट भी खत्म होगा. अगर यूपीए सरकार रह जाती है तो नयी कैबिनेट का गठन होगा. कैबिनेट के लिए लॉबिंग होगी. दिल्ली दरबार में नये चेहरे कैबिनेट में जगह पाने के लिए दौड़ लगा सकते हैं. झामुमो को भी अपने विधायकों को साथ रखने की चुनौती होगी. झामुमो फोल्डर से भी कैबिनेट में नये चेहरे आ सकते हैं.
भाजपा फूंक-फूंक कर रख रही है कदम
झारखंड में बदलते हालात के बीच भारतीय जनता पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. भाजपा हड़बड़ी में नहीं है. भाजपा की नजर राजभवन पर है. भाजपा के बड़े नेता बाबूलाल मरांडी, रघुवर दास, दीपक प्रकाश से लेकर संगठन के कद्दावर नेता किसी जल्दबाजी में नहीं दिख रहे हैं. ये यूपीए अंदर की राजनीति पर पैनी निगाह रखे हुए हैं. पिछले दिनों रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने साफ किया है कि भाजपा सरकार बनाने के लिए किसी तरह की जोड़-तोड़ नहीं कर रही है. लेकिन पर्दे के पीछे खेल हो रहा है.
आठ माह बाद चुनाव आयोग ने भेजी अपनी अनुशंसा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में शिकायत करने के आठ माह बाद चुनाव आयोग ने अपनी अनुशंसा भेजी है. वह भी अभी राज्यपाल के पास है. राज्यपाल को ही फैसला लेना और चुनाव आयोग के फैसले की जानकारी देनी है. देर रात तक मुख्यमंत्री को राज्यपाल की ओर से कोई सूचना नहीं दी गयी. इस मामले में सबसे पहले शिकायत आरटीआइ कार्यकर्ता सुनील महतो ने की थी. इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने की थी. फिर चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को नोटिस जारी किया. इसके बाद सुनवाई की प्रक्रिया मई में आरंभ हुई, जो 25 अगस्त को फैसले के रूप में आयी.
ऑफिस ऑफ प्रॉफिट में क्या-क्या हुआ
20 जनवरी 2022 को आइटीआइ कार्यकर्ता सुनील महतो ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पद का गलत इस्तेमाल कर अपने नाम से खनन लीज लेने के संबंध में शिकायत पत्र दिया.
10 फरवरी 2022 को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस्तीफे की मांग की
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी ने 11 फरवरी 2022 को राज्यपाल से अनगड़ा में 0.88 एकड़ में पत्थर खादान अपने नाम पर लेने की शिकायत की थी.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में कार्रवाई के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के नेतृत्व में भाजपा के सदस्यों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा था.
राज्यपाल ने शिकायत पत्र के साथ केंद्रीय चुनाव आयोग से जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 ए के तहत मांगी थी राय.
चुनाव आयोग ने आठ अप्रैल 2022 को मुख्य सचिव से खनन लीज आवंटन प्रमाणीकरण के लिए मांगे थे कागजात
27 अप्रैल 2022 को मुख्य सचिव ने चुनाव आयोग को खनन लीज आवंटन मामले में 600 पेज का जवाब भेजा था
चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस मामले में दो मई 2022 को भेजा था नोटिस और 10 मई तक नोटिस का जवाब मांगा था
10 मई को चुनाव आयोग को जवाब देने के लिए हेमंत सोरेन ने मां के बीमार रहने की बात कह कर 10 दिन का समय मांगा.
चुनाव आयोग ने आग्रह को मानते हुए 20 मई 2022 तक जवाब देने का समय दिया.
हेमंत सोरेन ने फिर 20 मई 2022 को अपना जवाब विशेष दूत के माध्यम से चुनाव आयोग को भिजवाया.
चुनाव आयोग ने 31 मई 2022 को इस मामले में हेमंत सोरेन से स्वयं या अपने वकीलों के माध्यम से जवाब मांगा सीएम ने समय की मांग की तब आयोग ने 14 जून की तिथि निर्धारित की.
सीएम द्वारा पुन: तिथि बढ़ाने की मांग की गयी तब आयोग द्वारा 28 जून की अंतिम तिथि निर्धारित करते हुए पत्र राज्य निर्वाचन आयोग को भी भेज दिया गया था.
28 जून को हुई सुनवाई में भाजपा के वकीलों ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9 ए के तहत मुख्यमंत्री की सदस्यता रद्द करने पर जोर दिया था.वहीं मुख्यमंत्री की ओर से चुनाव आयोग के समक्ष वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा की टीम चुनाव आयोग के समक्ष इसका विरोध करते हुए कहा था यह ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला नहीं है.चुनाव आयोग ने अगली सुनवाई के लिए 14 जुलाई का समय दिया.
14 जुलाई को हेमंत सोरेन के वकीलों ने अपना पक्ष रखा. सुनवाई की अगली तिथि पांच अगस्त निर्धारित की गयी.
चुनाव आयोग ने पांच अगस्त को सुनवाई की तिथि निर्धारित की. हेमंत सोरेन के वकीलों के आग्रह पर तिथि बढ़ाकर आठ अगस्त की गयी
आठ अगस्त को भाजपा के वकीलों ने अपना पक्ष रखा, हेमंत के वकीलों ने विस्तृत पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की. चुनाव आयोग ने 12 अगस्त की तिथि दी.
12 अगस्त को हेमंत सोरेन की मामले की सुनवाई पूरी हुई. चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों को लिखित बहस को 18 अगस्त तक भेजने का निर्देश दिया.
चुनाव आयोग को हेमंत सोरेन के अधिवक्ताओं की तरफ से 18 अगस्त को लिखित जवाब दिया गया. सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयोग ने आदेश सुरक्षित रख लिया.
25 अगस्त को दिन के साढ़े 10 बजे आयोग ने अपनी राय राज्यपाल को भेज दिया.