Jharkhand Chunav 2024: रांची-झारखंड के सीईओ (मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी) के रवि कुमार ने कहा है कि झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) नेता सुप्रियो भट्टाचार्य द्वारा मतदान (वोटिंग) के समय को लेकर लगाये गये आरोप बेबुनियाद और तथ्यों से परे हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 में मात्र तीन प्रतिशत मतदान केंद्रों पर ही शाम चार बजे तक मतदान होगा. झारखंड विधानसभा चुनाव-2014 में 89 फीसदी एवं 2019 में 63 फीसदी मतदान केंद्रों पर सुबह 7 बजे से शाम तीन बजे तक मतदान हुआ था. वे सोमवार को धुर्वा के निर्वाचन सदन में पत्रकार से बातचीत कर रहे थे.
आरोप पर सीईओ ने दिए तथ्य
के रवि कुमार ने बताया कि झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान के कम समय को लेकर लगाए गए आरोप के संदर्भ में ये तथ्य हैं.
- झारखंड में कुल 29,562 मतदान केंद्र हैं, जिनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 24,520 मतदान केंद्र है और शहरी क्षेत्र में 5,042 मतदान केंद्र हैं.
- 981 नक्सल प्रभावित ग्रामीण मतदान केन्द्रों को छोड़कर, 23,539 ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों में एवं सभी शहरी क्षेत्र के मतदान केन्द्रों में मतदान का समय सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक का है.
- 2014 एवं 2019 के विधानसभा चुनावों में 89% (22,132) एवं 63% (18,555) मतदान केंद्रों पर मतदान का समय सुबह 7 बजे से शाम 3 बजे तक रखा गया था. इस बार मात्र 3 प्रतिशत (981) मतदान केंद्रों पर सुबह 7 से शाम 4 बजे का समय मतदान के लिए रखा गया है, जो आयोग के विशेष प्रयासों से ही संभव हुआ है.
- मतदान के समय का पर्याप्त प्रचार होता है. मतदान समाप्ति का समय कोई भी हो, उस समय कतार में खड़े सभी मतदाता को मतदान करने का पूरा अवसर मिलता है.
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ये है कानूनी प्रावधान
चुनाव आयोग को धारा 56 लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में मतदान का समय निर्धारित करने का कानूनन अधिकार है. यह समय 8 घंटे से कम नहीं हो सकता है. आयोग मतदान का समय निर्धारित करने से पूर्व अपनी राज्य की यात्रा के दौरान राजनीतिक पार्टियों, जिला प्रशासन, राज्य प्रशासन से क्षेत्र के सुरक्षा संबंधी ऐतिहासिक और वर्तमान मसलों पर गौर करता है. इस के अतिरिक्त क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, सड़क नेटवर्क, ऋतु अनुसार सूर्यास्त के समय को भी ध्यान में रखा जाता है. झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी द्वारा सभी जिला प्रशासन से इस संबंध में लिखित अनुशंसा लेकर चुनाव आयोग को भेजा जाता है. नक्सल प्रभावित या नक्सली इतिहासवाले ग्रामों या ग्राम समूहों के लिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि पोलिंग पार्टी सूर्यास्त के पूर्व मतदान की कार्यवाही संपन्न कर सुरक्षित लौट आएं. इन दूरस्थ मतदान केंद्रों पर औसतन मतदाता अन्य शहरी और ग्रामीण मतदान केंद्रों से कम ही रहते हैं.