Jharkhand Chunav: BJP डैमेज कंट्रोल में सफल, सत्यानंद और वीरेंद्र माने, इन नेताओं के तेवर अब भी गरम
Jharkhand Chunav: झारखंड बीजेपी के ज्यादातर बागी नेताओं को हिमंता विश्वा सरमा मनाने में सफल हो चुके हैं. लेकिन निरंजन राय और मिसिर कुजूर की नाराजगी दूर नहीं हो सकी.
Jharkhand Chunav, रांची : झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टियों के अंदर भगदड़ मची है. दलों की दीवार टूट रही है. भाजपा में भी टिकट की आस लगाकर बैठे कई नेता बगावत करने को तैयार थे. कई नेताओं ने तो पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन भी कर दिया था. हालांकि, असम के मुख्यमंत्री और भाजपा के झारखंड चुनाव सह प्रभारी हिमंता विश्वा सरमा ने डैमेज कंट्रोल कर लिया. उन्होंने रांची सीट से लेकर कोल्हान और संताल परगना तक में बगावत की आग को ठंडा किया. भाजपा से नाराज होकर नाला से निर्दलीय नामांकन करनेवाले पूर्व मंत्री सत्यानंद झा ‘बाटुल’ और वीरेंद्र मंडल को मनाने में हिमंता विश्वा सरमा सफल रहे. लेकिन निरंजन राय, गुमला के मिसिर कुजूर नहीं हुए सफल.
हिमंता विश्वा सरमा के आग्रह पर सत्यानंद और वीरेंद्र ने नामांकन वापस लिया
हिमंता विश्वा सरमा दीपावली के दिन ही कुंडहित प्रखंड के बनकाठी गांव पहुंचे और सत्यानंद झा से मिले. वहीं, शुक्रवार को जामताड़ा पहुंचकर वीरेंद्र मंडल से भी मुलाकात की. हिमंता के अग्रह के बाद दोनों नेताओं ने शुक्रवार को अपना नामांकन वापस ले लिया. हिमंता के आश्वासन के बाद भाजपा महिला मोर्चा की ओर से सत्यानंद झा की पत्नी विथिका झा को भाजपा महिला मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष मनोनित किया गया है.
कृषि मंत्री रह चुके हैं सत्यानंद झा
बता दें कि सत्यानंद झा पुराने भाजपा कार्यकर्ता रहे हैं. वर्ष 2009 में भाजपा के टिकट से नाला से चुनाव जीत कर कृषि मंत्री बने थे. 2014 और 2019 में वे झामुमो के रबींद्रनाथ महतो से बहुत ही कम अंतर से चुनाव हारे थे. सत्यानंद झा ने इस बार टिकट के लिए दावेदारी की थी. लेकिन, पार्टी ने माधव चंद्र महतो को टिकट दे दिया. इससे नाराज सत्यानंद झा ने बाबूलाल मरांडी को अपना इस्तीफा भेजा और निर्दलीय नामांकन कर दिया. वहीं, वीरेंद्र मंडल ने भी नाला से टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन टिकट नहीं मिला. इससे नाराज होकर उन्होंने नाला विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन कर दिया था. वीरेंद्र मंडल वर्ष 2014 व 2019 में भाजपा के टिकट पर जामताड़ा सीट से चुनाव लड़े थे. लेकिन, दोनों बार कांग्रेस के इरफान अंसारी से हार गये.
कोल्हान में मेनका सरदार और अमरप्रीत सिंह काले को मनाया गया
पूर्व विधायक मेनका सरदार को मनाने में भी भाजपा सफल रही. मेनका सरदार पोटका से पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को उम्मीदवार बनाये जाने से नाराज थीं. इधर, जमशेदपुर में पार्टी से नाराज चल रहे अमरप्रीत सिंह काले को मना लिया गया है. वहीं, भाजयुमो नेता अजीत शर्मा भी मान गये हैं. इधर, रांची सीट से भाजपा नेता मुनचुन राय और संदीप वर्मा ने नामांकन कर दिया था. पार्टी के आग्रह पर इन दोनों नेताओं ने भी नामांकन वापस ले लिया है. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री संजय सेठ के आग्रह पर नेत्र विशेषज्ञ डॉ बीपी कश्यप ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया.
नहीं माने निरंजन राय, गुमला के मिसिर भी बने रहे विरोधी
इधर, काफी कोशिशों के बाद भी भाजपा के कई बागी नेताओं के तेवर ढीले नहीं हुए. राजधनवार से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरनेवाले निरंजन राय को मनाने के लिए खुद सांसद निशिकांत दुबे पहुंचे थे. लेकिन, उन्होंने अपना नामांकन वापस नहीं लिया. वहीं, गुमला से भाजपा नेता मिसिर कुजूर की भी नाराजगी दूर नहीं हुई. उन्होंने निर्दलीय नामांकन किया है.
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