झारखंड की राजधानी रांची के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में दो साल बाद राष्ट्रीय खादी एवं सरस महोत्सव (खादी मेला) का आगाज हो गया है. बुधवार को सूबे के मुखिया हेमंत सोरेन ने दीप प्रज्ज्वलित कर खादी मेला का उद्घाटन किया. मुख्यमंत्री श्री सोरेन ने इस अवसर पर कहा कि 12 दिन के मेला का उद्देश्य महात्मा गांधी के विचारों को धरातल पर उतारना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि काफी समय के बाद मोरहाबादी मैदान में इस महोत्सव का आयोजन किया गया है. कोरोना महामारी के कारण कई सारे उत्सव-महोत्सव बाधित हो गये थे. अब जनजीवन सामान्य हो रहा है. इसलिए नये जोश और उमंग के साथ इस महोत्सव की शुरुआत की गयी है. उन्होंने कहा कि इस उत्सव को इसलिए मनाया जाता है, ताकि बापू के विचारों के अनुसार खादी को बढ़ावा मिले.
उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य यही है कि एक ग्रामीण उद्योग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाये. हम अपने दैनिक जीवन में स्वदेशी चीजों के इस्तेमाल पर जोर दें. अगर इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में हर कोई स्वदेशी सामान अपनायेगा, तो स्वदेशी सामान की मांग बढ़ जायेगी. मेला 28 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 तक चलेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां राज्य के सभी 24 जिलों से सखी मंडल ने 100 से अधिक स्टॉल लगाये हैं. गांव में इस तरह के सामान बनाने वालों का मनोबल बढ़ेगा. ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा. इस मेले के माध्यम से अपनी परंपरा और संस्कृति को संरक्षित रखते हुए अपनी चीजों की विदेशों में भी पहचान बनाने की कोशिश करेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये तो बस शुरुआत है. आने वाले समय में यह सिलसिला आगे बढ़ेगा. धीरे-धीरे स्वदेशी बाजार को भी यह बढ़ावा देगा. महात्मा गांधी जी का संग्रहालय भी खादी मेला में बनाया गया है. यहां 320 से अधिक स्टॉल लगे हैं. इस अवसर पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि दो वर्ष के अंतराल के बाद खादी महोत्सव का आयोजन किया गया है. यहां तमाम स्टॉल में आपको गांव की झलक देखने को मिलेगी.
रिपोर्ट- राजलक्ष्मी, रांची