झारखंड सरकार में शामिल कांग्रेस नेताओं से आलाकमान नाराज, मंत्री आलमगीर आलम से मांगा गया जवाब
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री खरगे और केसी वेणुगोपाल ने मंत्रियों को खरी-खोटी सुनायी. कुछ नेताओं ने मामला उठाया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जिलाधिकारी से लेकर बीडीओ-सीओ यहां तक की थानेदार बात नहीं सुनते हैं
झारखंड सरकार में शामिल कांग्रेस के मंत्रियों के कामकाज से आलाकमान नाराज है. मंत्रियों पर कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं. बुधवार को दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राष्ट्रीय नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ प्रदेश के पॉलिटिक्ल अफेयर्स कमेटी में शामिल आला नेताओं की बैठक थी.
इस बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री खरगे और केसी वेणुगोपाल ने मंत्रियों को खरी-खोटी सुनायी. बैठक में प्रदेश की ओर से गये कुछ नेताओं ने मामला उठाया कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जिलाधिकारी से लेकर बीडीओ-सीओ यहां तक की थानेदार बात नहीं सुनते हैं. मंत्री संगठन से दूर हैं और कार्यकर्ताओं का काम नहीं होता है. कांग्रेस सरकार में है, लेकिन कार्यकर्ताओं का काम नहीं होता है. कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा नहीं है.
इस पर राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री खरगे का कहना था कि कार्यकर्ता के बल पर पार्टी है. पार्टी ने मंत्री बनाया है, तो हटा भी सकती है. बैठक में उन्होंने निर्देश दिया कि पार्टी का हर मंत्री सप्ताह में एक दिन पार्टी कार्यालय जायेंगे और जनसुनवाई करेंगे. राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विधायक दल के नेता आलमगीर आलम से जवाब मांगा. उनका कहना था कि पार्टी के पास कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेवारी है. बीडीओ-सीओ कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनते हैं. बैठक में कहा गया कि कुछ बोर्ड-निगम का बंटवारा हुआ है.
लेकिन अब भी दर्जनों बोर्ड-निगम खाली हैं. इसका बंटवारा हाेता, तो कार्यकर्ताओं को जगह मिलती. केंद्रीय नेताओं का कहना था कि मंत्रियों के काम की समीक्षा होनी चाहिए. बैठक में प्रभारी अविनाश पांडेय ने भी मंत्रियों द्वारा जनसुनवाई नहीं किये जाने के मामले में नाराज हुए. बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, विधायक प्रदीप यादव, विधायक दीपिका पांडेय, कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, पूर्व अध्यक्ष डॉ अजय कुमार, सुखदेव भगत, पूर्व सांसद फुरकान अंसारी, मणिशंकर, जलेश्वर महतो सहित कई नेताओं ने अपनी बात रखी. संगठन को चुनावी धार देने के उपाय बताये.