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क्या नियंत्रण से बाहर हैं झारखंड कांग्रेस के नेता? प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने दिया ये जवाब

झारखंड में कांग्रेस अब बेपटरी हो गयी है ये सवाल इसिलए उठ रहे हैं क्योंकि नेता अपनी मन की कर रहे हैं. केएन त्रिपाठी को पार्टी ने जामताड़ा पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी लेकिन उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन कर दिया. ठीक उसी तरह राष्ट्रपति चुनाव में भी विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की.

रांची: लगता है प्रदेश में कांग्रेस बेपटरी हो गयी है. नेता अपनी मन की कर रहे हैं. पार्टी अस्त-पस्त है. पूर्व मंत्री रहे केएन त्रिपाठी को पार्टी ने जामताड़ा पार्टी को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी. श्री त्रिपाठी को एआइसीसी ने जामताड़ा का संयोजक बनाया गया. श्री त्रिपाठी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नामांकन कर दिया. जामताड़ा में पार्टी कितनी मजबूत हुई, यह नहीं पता, लेकिन उनमें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का नेतृत्व करने के अरमान हिलोरे मारने लगे.

श्री त्रिपाठी का नामांकन भी रद्द हो गया है. हालांकि, पार्टी संविधान के अनुरूप श्री त्रिपाठी चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र थे, लेकिन, प्रदेश कांग्रेस में बिना गोलबंदी के चुनाव में ताल ठोक रहे थे. प्रभारी या अध्यक्ष सबको बाइपास किया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को चुनाव के लिए फिलहाल कांग्रेस के आला नेता मल्लिका अर्जुन खड़गे और शशि थरूर मैदान में हैं.

पार्टी में प्रदेश के नेता-विधायक अपनी मर्जी की राह पकड़ रहे हैं. संगठन में कोई समन्वय नहीं लग रहा है. राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की. यूपीए उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को झारखंड में कांग्रेस का भी पूरा वोट नहीं मिला. पार्टी के फरमान के बाद भी 10 विधायकों ने यशवंत को वोट नहीं दिया.

एक वोट अवैध हुआ. जिस कांग्रेस के भरोसे यशवंत चुनाव में उतरे थे, प्रदेश में करारी शिकस्त दी. प्रदेश कांग्रेस में प्रभारी व अध्यक्ष की विधायकों के बीच नहीं चलती. पार्टियों में बैठकों का दौर चलता है, लेकिन विधायक अपनी मर्जी की करते हैं. अपनी ही सरकार को गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लग रहा है. कांग्रेस सरकार के अंदर भी एक्सपोज है. कांग्रेस के तीन विधायक कैश कांड में फंसे हैं. इन पर दलबदल का मामला चल रहा है. केंद्र में पार्टी अध्यक्ष की राजनीति से फंसी है, तो झारखंड में बेपटरी.

सवाल : क्या प्रदेश नेतृत्व के नियंत्रण से बाहर है पार्टी? 

जवाब : राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव कोई भी लड़ सकता था. पार्टी संविधान के अनुसार चुनाव लड़ने के लिए कुछ शर्त थे, उसको जो भी पूरा करता, वह लड़ सकता था. केएन त्रिपाठी ने भी चुनाव लड़ने का मन बना लिया. इसमें संगठन को कोई परेशानी नहीं है. हम किसी को मना नहीं कर सकते थे. जहां तक राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की बात है, तो इससे संबंधित रिपोर्ट आलाकमान को सौंप दी गयी है.

नेतृत्व को पूरी जानकारी दी गयी है. हमारे पास कोई मैकेनिज्म नहीं है कि हम पता लगा पायें कि किसने क्रॉस वोटिंग की है. कैश कांड के मामले में पार्टी ने त्वरित कार्रवाई की. विधायकों को शो-काॅज दिया गया. इन विधायकों के खिलाफ शिकायत आयी, तो दलबदल का मामला भी चल रहा है. हम पार्टी के अंदर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं. हम पूरी तरह से गंभीर हैं.

रिपोर्ट- आनंद मोहन

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