झारखंड: कॉपरेटिव सोसाइटी के सचिव एके रस्तोगी पर गैर मजरुआ जमीन पर कब्जा करने का आरोप, कार्रवाई की मांग
शिकायती पत्र में कहा गया है झारखंड सरकार ने आइएएस, आइपीएस व आइएफएस अधिकारियों के गृह निर्माण समिति को कांके थाना के सांगा मौजा में 78.35 एकड़ जमीन दी है.
सेंट्रल सर्विस ऑफिसर्स हाउसिंग कॉपरेटिव सोसाइटी के सचिव एके रस्तोगी पर 4.5 एकड़ गैर मजरुआ जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की गयी है. सोसाइटी के सदस्य नरेंद्र मिश्रा ने निजी स्वार्थ के लिए जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल, राज्य सरकार सहित अन्य सक्षम अधिकारियों को पत्र लिख कर मामले की शिकायत की है. साथ ही मामले से संबंधित नक्शों को संलग्न किया है.
शिकायती पत्र में कहा गया है राज्य सरकार ने आइएएस, आइपीएस व आइएफएस अधिकारियों के गृह निर्माण समिति को कांके थाना के सांगा मौजा में 78.35 एकड़ जमीन दी है. सरकार द्वारा समिति को दी गयी जमीन में प्लॉट नंबर 34, 35 व 724 शामिल हैं. समिति के सचिव एके रस्तोगी ने सरकार द्वारा दी गयी जमीन में गैर मजरुआ जमीन भी शामिल कर लिया है.
उन्होंने प्लॉट नंबर 158, 159 व 160 की निजी स्वार्थ के लिए घेराबंदी कर ली है. उसकी घेराबंदी पर 13.43 लाख रुपये खर्च किया है. एके रस्तोगी वहां एक स्कूल व अस्पताल खोलना चाहते हैं. इसके लिए उन्होंने दो सेवानिवृत आइएफएस अधिकारियों के साथ साझेदारी की है. उन्होंने सेकेंड प्लॉटिंग में अपने प्लॉट नंबर 40 को कब्जा की गयी गैर मजरूआ जमीन के पास कर लिया है, ताकि उन्हें इसका लाभ मिल सके.
आठ जनवरी 2023 को समिति की आमसभा की बैठक में जमीन का नक्शा देखने के बाद उन्हें इसकी जानकारी मिली. उन्होंने गैर मजरूआ जमीन पर कब्जा करने पर आपत्ति जतायी. लेकिन एके रस्तोगी ने जवाब में यह कहा कि इससे कोई परेशानी नहीं होगी. हम लोग सीनियर ऑफिसर हैं. मामले को मैनेज कर लेंगे.
गलत कार्यों में नहीं होना चाहते शामिल, इसलिए लिखा शिकायती पत्र
नागेंद्र मिश्रा ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि समिति के बायलॉज के अनुसार समिति के पदाधिकारियों द्वारा किये गये हर गलत काम के लिए समिति के सदस्य भी जिम्मेवार होंगे. वह समिति के पदाधिकारियों द्वारा किये गये जा रहे गलत कार्यों के लिए जिम्मेवार नहीं होना चाहते हैं. इसलिए वह इसकी शिकायत राज्य के वरीय पदाधिकारियों से कर रहे हैं.
उन्होंने समिति के पदाधिकारियों को नोटिस देकर गैर मजरुआ जमीन को समिति की जमीन के दायरे में शामिल करने के लिए की गयी घेराबंदी पर खर्च किये गये 13.43 लाख और जमीन से इस घेराबंदी को हटाने पर होनेवाला अनुमानित खर्च 2.68 लाख रुपये समिति के कोष में जमा करने के लिए भी नोटिस दिया है. उन्होंने एके रस्तोगी पर गलत तरीके से समिति का सचिव बनने का आरोप भी लगाया है. इस सिलसिले में शिकायती पत्र में यह कहा गया है कि समिति के नियम के अनुसार कोई व्यक्ति लगातार दो बार ही समिति का पदधारी बन सकता है.
लेकिन एके रस्तोगी तीसरी बार भी समिति के सचिव बन गये हैं. नरेंद्र मिश्रा ने अपने शिकायती पत्र के साथ आरोपों की पुष्टि के लिए सरकार द्वारा समिति को आवंटित जमीन का नक्शा, दूसरे और तीसरे प्लॉटिंग का ब्योरा भी भेजा है. तीसरे प्लॉटिंग में कब्जा की गयी गैर मजरुआ जमीन को शामिल करने से संबंधित ब्योरा दर्ज है. नरेंद्र मिश्रा ने राज्यपाल, राज्य सरकार और सक्षम पदाधिकारियों से इस मामले में कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.