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झारखंड सहकारी संघ का हुआ गठन, कृषि एवं वनोपज की खरीद-बिक्री को ठेकेदारी प्रथा से मिलेगी मुक्ति

कृषि एवं वनोपज की खरीद-बिक्री को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त करने के लिए झारखंड सहकारी संघ और जिला सहकारी संघ का गठन हुआ है, यह संघ राज्य में धान, गेहूं, सब्जी-फल, लाह, इमली, कोदो, कुटकी, सरगुजा, चिरौंजी जैसी तमाम उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की गतिविधियों को संगठित करेगा.

By Prabhat Khabar News Desk | December 9, 2021 10:54 AM

रांची : राज्य में कृषि एवं वनोपज की खरीद-बिक्री को ठेकेदारी प्रथा से मुक्त करने के लिए सहकारिता विभाग ने सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड व सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज जिला सहकारी संघ लिमिटेड का गठन किया है. यह संघ राज्य में धान, गेहूं, सब्जी-फल, लाह, इमली, कोदो, कुटकी, सरगुजा, चिरौंजी नट, चिरौता, आंवला, महुआ, करंज, हर्रे, बहेरा, रेशम, तसर (बीड़ी पत्ता को छोड़ कर) का उत्पादन, संकलन, प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित करेगा.

इसकी पूंजी 500 करोड़ रुपये होगी. साथ ही क्रय-विक्रय व वितरण की व्यवस्था करेगा. संघ का उद्देश्य इससे जुड़े सदस्यों को सर्वोत्तम लाभ देना है. राज्य कैबिनेट के अनुमोदन के बाद संघ का निबंधन करा दिया गया है. राज्य सरकार का मानना है कि यहां 38 लाख किसान हैं. लगभग 38 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है. कृषि व वनोपज से मेहनत के अनुरूप आय प्राप्त नहीं हो रही है.

इसके संचालन के लिए एक निदेशक पर्षद का गठन किया जायेगा. इसके अध्यक्ष राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. उपाध्यक्ष कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के मंत्री तथा 10 निर्वाचित निदेशक होंगे. निदेशक पर्षद में कुल छह पदेन निदेशक होंगे. इसमें वन, वित्त, कृषि एवं पशुपालन, कल्याण विभाग के सचिव या अपर सचिव, संघ के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी तथा संघ के सचिव भी होंगे.

क्या काम करेगा संघ :

संघ के तहत होने वाले कार्यों का लाभ लेने के लिए किसान व सहकारी समितियों को सदस्य बनना होगा. इनके कृषि उत्पाद एवं वनोपज के क्रय, संग्रहण, भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन, वितरण का काम संघ करेगा.

Posted By : Sameer Oraon

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