झारखंड समन्वय समिति को राज्यपाल ने नहीं दिया समय तो राजभवन पर लगा गंभीर आरोप, सत्ता पक्ष ने कही ये बात
समन्वय समिति ने पत्र व ई-मेल के जरिये मुलाकात का समय मांगा था. राजभवन की ओर से मुलाकात से संबंधित कोई तिथि नहीं दी गयी, तो समन्वय समिति के सदस्य राजभवन पहुंच गये.
राज्य समन्वय समिति को रविवार को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात का समय नहीं मिला. समन्वय समिति में शामिल सत्ता पक्ष के नेता राज्यपाल से मिलकर विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को संदेश के साथ लौटाने का आग्रह करना चाहते थे. राज्यपाल श्री राधाकृष्णन राज्य से बाहर शनिवार को त्रिशुर गये थे, फिर वहां से गोवा पहुंचे. समन्वय समिति की ओर से एक सितंबर को राज्यपाल से मुलाकात का अनुरोध पत्र भेजा गया था.
समन्वय समिति ने पत्र व ई-मेल के जरिये मुलाकात का समय मांगा था. राजभवन की ओर से मुलाकात से संबंधित कोई तिथि नहीं दी गयी, तो समन्वय समिति के सदस्य राजभवन पहुंच गये. राजभवन के मुख्य गेट पर नेताओं को बताया गया कि राज्यपाल नहीं हैं. इसके बाद नेता राजभवन के अधिकारियों से मिलकर ज्ञापन देना चाहते थे. राजभवन से सूचना दी गयी कि आज रविवार है और कोई अधिकारी नहीं हैं.
इसके बाद समन्वय समिति की ओर से राजभवन के मुख्य गेट पर तैनात कांस्टेबल को ही ज्ञापन देकर रिसीव कराया. राज्य समन्वय समिति के सदस्य व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर, बंधु तिर्की, झामुमो नेता विनोद पांडेय, योगेंद्र महतो और फागू बेसरा राजभवन पहुंचे थे. मुलाकात का समय नहीं मिलने से नाराज समन्वय समिति के सदस्यों ने राजभवन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
हमारे समय मांगने पर किसी तरह का जवाब राजभवन से नहीं आया. सरकार की समिति के साथ यह रवैया ठीक नहीं है. लगता है कि राजभवन किसी खास पार्टी के लिए काम कर रहा है. हमारा ज्ञापन लेने के लिए कोई अधिकारी तक सामने नहीं आया. राज्यपाल विधेयक लौटा रहे हैंं. सरकार का कई महत्वपूर्ण काम लंबित हैं. इसके लिए हम आग्रह करने आये थे कि राज्यपाल संदेश के साथ विधेयक लौटायें.
यह संवादहीनता सही नहीं है. राज्यपाल अगर उपलब्ध नहीं थे, तो इसकी सूचना हमें दे देनी चाहिए थी, लेकिन राजभवन ने कुछ नहीं बताया. लगता है कि राजभवन खास पार्टी के लिए काम कर रहा है.
– राजेश ठाकुर,
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष
राजभवन ने मुलाकात को लेकर हमारे आग्रह पर कोई सूचना नहीं दी. हम राज्यहित में राजभवन से मिलना था. राजभवन को किसी राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहिए. राज्यपाल पूरे स्टेट के कस्टोडियन हैं.
– बंधु तिर्की, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष
राजभवन से कोई तिथि नहीं बतायी गयी. इससे पहले भी ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं से राज्यपाल नहीं मिले थे. हमें गेट पर कांस्टेबल को ज्ञापन देना पड़ा. यह दूसरी बार हुआ है जब सत्ता पक्ष के नेताओं से मुलाकात नहीं की.
विनोद पांडेय, झामुमो
क्या है समन्वय समिति की मांग
राज्यपाल को झारखंड में पदों व सेवाओं में की रिक्तियों में आरक्षण, संशोधन विधेयक, स्थानीय व्यक्ति परिभाषा विधेयक और मॉब लिंचिंग विधेयक भेजा गया था. यह झारखंड के लोगों की अस्मिता से जुड़ा विधेयक है.
विधेयक को लौटाते समय संविधान के अनुच्छेद-200 के तहत संदेश संलग्न करना एक संवैधानिक जरूरत है.
राज्यपाल सिब्ते रजी और द्रौपदी मुर्मू द्वारा भी विधेयक लौटाया गया था. इसका भी अवलोकन कर लें.
विधेयक को अमलीजामा पहनाना जरूरी है. इसे नियम संगत तरीके से लौटाया जाये