Jharkhand Coronavirus Update, Ranchi News रांची : कोरोना संक्रमण से बचाव में टीका अहम हथियार साबित हो रहा है. टीका लेनेवालों के शरीर पर वायरस का गंभीर प्रभाव नहीं पड़ रहा है. राजधानी के सरकारी व निजी अस्पतालों में गंभीर हालत में आनेवाले अधिकतर संक्रमितों ने टीका नहीं लिया है. डॉक्टरों का कहना है कि पिछले एक महीना में देखा गया है कि गंभीर अवस्था में अस्पताल आने वाले सिर्फ पांच से 10 फीसदी संक्रमितों ने कोरोना का पहला या दूसरा डोज लिया है. यानी 90 से 95 फीसदी ने टीका नहीं लिया है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि टीका लेने के बाद शरीर में तैयार एंटी बॉडी कोविड 19 वायरस के विरुद्ध तेजी से लड़ने में सक्षम हो जाता है. यह वायरस के फैलाव को रोक देता है. क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डॉ कौशल ने बताया कि टीका लेनेवालों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है, जो वायरस बढ़ने नहीं देता है. जिन्होंने दोनों डोज लिया है, उनमें खतरा और भी कम रहता है.
राजधानी के पल्स अस्पताल में एक महीना में कोरोना के दर्जनों गंभीर संक्रमित भर्ती हुए हैं, जिसमें से कई को वेंटिलेटर व हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखना पड़ा. अस्पताल में गंभीर अवस्था में आये लोगों में से सिर्फ पांच फीसदी ने ही टीका लिया, बाकी 95 फीसदी ने टीका नहीं लिया था.
रिम्स के क्रिटिकल केयर व आइसीयू में गंभीर अवस्था में आये संक्रमितों में 90 फीसदी लोगों ने टीका नहीं लिया. दो फीसदी ने टीका का पहला डोज लिया था. टीका नहीं लेने के कारण ही उनकी स्थिति गंभीर हुई. ऐसे संक्रमितोें को वेंटिलेटर या ऑक्सीजन पर रखना पड़ा.
टीका से तैयार एंटी बॉडी का शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यह वायरस से लड़ता है. क्रिटिकल केयर में जितने गंभीर संक्रमितों का इलाज चल रहा है, उनमें से पांच से 10 फीसदी लोगों ने ही टीका लिया है.
डॉ प्रदीप भट्टाचार्या,
क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ, रिम्स
टीका लेने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. अस्पताल में गंभीर अवस्था में जितने भी संक्रमित आये, उनमें तीन या चार को छोड़ कर किसी ने भी टीका नहीं लिया था. अगर वह टीका लिये होते, तो उन्हें अस्पताल आने की नौबत ही नहीं आती.
डॉ दीपक, क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ, पल्स
Posted By : Sameer Oraon