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झारखंड में बच्चों का टीकाकरण अभियान धीमा, 49 फीसदी लोग अभी भी हैं वंचित, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोना से बचाव के लिए किशोर (15 से 17 साल) और बच्चों (12 से 14 साल) का टीकाकरण अभियान चल रहा है, लेकिन इसकी धीमी गति चिंता का सबब बन गया है. सरकारी आंकड़ों में 12 से 14 साल के बच्चों के टीकाकरण का 100 दिन (17 मार्च से शुरू हुआ था) पूरा हो गया है

By Prabhat Khabar News Desk | June 25, 2022 6:51 AM

रांची : झारखंड में कोरोना से बचाव के लिए किशोर और बच्चों का टीकाकरण अभियान जारी है. लेकिन इसकी गति बेहद धीमी है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो 12 से 14 साल के 49 फीसदी बच्चे इससे वंचित है. यानी कि इस उम्र के 51 फीसदी बच्चों को ही केवल पहले डोज लगा है. विशेषज्ञों की मानें तो इसका बड़ा कारण स्कूलों को टीकाकरण अभियान से अलग रखना है.

एक वायल के अनुसार एक ही समय में नहीं जुट पाते बच्चे : विशेषज्ञ कहते हैं कि 12 से 14 साल के बच्चे पांचवीं से आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं, जिनका टीकाकरण स्कूलों में जाकर संभव है. बच्चों में टीकाकरण की गति इसलिए भी धीमी है, क्योंकि सेंटर पर एक वायल के अनुसार एक ही समय में 20 बच्चे नहीं जुट पाते हैं. घंटों इंतजार के बाद अभिभावकों को लौटना पड़ रहा है.

अगर स्कूलों में टीकाकरण शुरू हो जाये, तो बच्चों की संख्या आड़े नहीं आयेगी. इससे टीकाकरण का लक्ष्य आसानी से पूरा हो जायेगा. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार, राज्य में 15.94 लाख बच्चों को टीका देने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 8,11,501 को पहला डोज और 3,06,514 को दूसरा डोज लगा है.

61% किशोरों को पहला और 36% को दूसरा डोज :

राज्य में किशोरों के टीकाकरण अभियान की शुरुआत चार जनवरी से हो गयी थी. टीकाकरण के लिए 23.98 लाख किशोरों को टीका देने का लक्ष्य बनाया गया है, लेकिन पांच महीने बाद भी इसकी गति धीमी है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों की मानें, तो वर्तमान समय में 14,66,685 (61%) किशोरों को पहला डोज और 8,69,542 (36%) को दूसरा डोज लगा है. यानी 39% किशोर टीका से वंचित हैं और 64% का पूर्ण टीकाकरण नहीं हुआ है.

स्कूलों को जोड़ा, तो रूबेला टीकाकरण हुआ था आसान

राज्य में खसरा से बचाव के लिए रूबेला टीकाकरण अभियान चला था. इसे सफल बनाने के लिए स्कूलों को अभियान से जोड़ा गया था. सरकारी और निजी स्कूलों को इसके तहत बच्चों को टीका दिया गया था. इससे रूबेला टीकाकरण का लक्ष्य पूरा हुआ था. विशेषज्ञों ने बताया कि इससे खसरा से बच्चों का बचाव हो पाया.

कोरोना टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए स्कूलों को भी आगे आना होगा. अगर स्वास्थ्य विभाग से मैनपावर और संसाधन मिल जाये तो हम दायरा बढ़ा सकते हैं. हम समीक्षा कर रहे हैं कि रांची के शहरी क्षेत्र में जहां टीकाकरण कम है, वहां स्कूलों तक पहुंच बढ़ायी जाये.

डॉ शशिभूषण खलखो, डीआरसीएचओ रांची

Posted BY: Sameer Oraon

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