रांची : ओरमांझी में फुटबॉल से यहां की लड़कियों की अलग पहचान बनाने वाले अमेरिकी फ्रांज गैसलर को कोरोना के कारण गांव छोड़ना पड़ा. गैसलर को फुटबॉल का प्रशिक्षण लेने वाली लड़कियों से पता चला की गांव के लोग उन्हें यहां से जाने के लिए कह रहे हैं. कुछ ग्रामीणों ने लड़कियों से कहा कि यह बीमारी विदेशियों से फैल रही है इसलिए उन्हें यहां नहीं रहना चाहिए.
इस घटना के बाद फ्रांज और उनके एक और साथी गांव के बाहर रहे. बुधवार को फ्रांज, पत्नी, एक बच्चे को प्रशासन ने कोरोना वायरस से बचाव को लेकर मेदांता अस्पताल में जांच के बाद निगेटिव पाये जाने पर डोरंडा स्थित उसके दोस्त के यहां सुरक्षा की दृष्टि से भेज दिया.
फ्रांज ने प्रभात खबर संवाददाता से बाचती में बताया कि मैं जनवरी में अमेरिका से वापस ओरमांझी आया हूं. मंगलवार की रात को जब प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की बात कही उसके बाद रात में गांव की लड़कियों से हमें पता चला कि लोग हमें यहां से बाहर जाने के लिए कह रहे हैं.
गांव वालों का कहना था कि आप लोग विदेश से आये हैं और विदेश के लोग ही वायरस फैला रहे हैं. मैंने कहा कि ऐसा नहीं है हम संक्रमित नहीं है. हमारे देश जाने के लिए कोई फ्लाइट नहीं है, जब फ्लाइट चलने लगेगा तो हम वापस अपने देश अमेरिका चले जायेंगे. इसके बाद हमने किसी तरह गांव के बाहर रहकर रात बितायी और सुबह ही अमेरिकी दूतावास से बात की और मदद मांगी.
वहां से कहा गया कि आप कोलकाता स्थित अमेरिकी दूतावास पहुंच जाइये. इसके बाद ओरमांझी थाना के लोग सुबह हमारे पास आये और हमें गांव के बाहर से लेकर गये. हम पहले वेदांता अस्पताल गये और वहां अपना टेस्ट करवाया. इसके बाद रांची के डोरंडा स्थित एक दोस्त के घर आ गये. इसके बाद कोलकाता जाने की तैयारी है.
“युवा” की स्थापना साल 2009 में अमेरिकन फ्रांज गैसलर और रोज थॉमसन ने की थी. यह ग्रामीण झारखंड में 450 लड़कियों के साथ एक फुटबॉल कार्यक्रम चलाता है. 2004 में, भारतीय क्रिकेट टीम और पाकिस्तान के समकक्ष ने 2014 में मैजिक बस द्वारा लॉरियस अवार्ड साझा किया गया था .गांव 16 साल की मोनिका की वजह से चर्चा में है.
मोनिका पूरे विश्व की 8 लड़कियों में से एक है जिसका चयन वाशिंगटन में पर्वतारोहण अभियान के लिए हुआ है. इस अभियान को नाम दिया गया है- गर्ल्स ऑन आइस केसकैड. इस सपने को साकार करने में ओरमांझी में स्थापित युवा इंडिया नामक संस्था ने निभाई है जिसे ‘बुक ए स्माइल’ ने सपोर्ट किया था. इस गांव में ऐसी कई कहानियां है इस संस्था ने कई बच्चियों को उड़ान दी है.