Jharkhand Coronavirus Update : झारखंड में लॉकडाउन का 1 साल, रांची जिले से मिले सबसे ज्यादा कोरोना पॉजिटिव तो ये जिला रहा सबसे कम प्रभावित
मध्यमवर्गीय, गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों ने ऐसी प्रताड़ना झेली, जिसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी. लाखों लोग बेरोजगार हुए और प्रवासी मजदूर खानाबदोश की तरह अपने गांव-घर पहुंचने के लिए हजारों किमी पैदल और छोटी गाड़ियों से यात्रा की. कहीं कोरोना का मरीज मिलने पर पूरे इलाके को सील कर दिया जाता था. आज लंबे शोध के बाद इस वायरस का वैक्सीन तो ढूंढ़ लिया गया, लेकिन दहशत अब भी पीछा कर रही है. इस महामारी ने एक साल में लोगों की सोच और जीने का तरीका बदल दिया.
Jharkhand News, Ranchi News, Jharkhand Coronavirus lockdown रांची : एक साल से ज्यादा समय से पूरा विश्व कोरोना (कोविड-19) वायरस की दहशत में जी रहा है. करोड़ों लोग संक्रमित हुए और लाखों लोगों की जान गयी. अन्य देशों की तरह भारत में भी वायरस का संक्रमण रोकने के लिए साल भर पहले लॉकडाउन लगाया गया. बाजार, कारोबार, स्कूल-कॉलेज, पार्क, सिनेमा हॉल, मॉल, होटल, रेस्टोरेंट सबकुछ बंद हो गये. केवल राशन दुकान, सब्जी दुकान, मेडिकल स्टोर और अस्पतालों को ही खोलने की अनुमति थी. लोग महीनों घरों में कैद रहे.
मध्यमवर्गीय, गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों ने ऐसी प्रताड़ना झेली, जिसकी कल्पना उन्होंने कभी नहीं की थी. लाखों लोग बेरोजगार हुए और प्रवासी मजदूर खानाबदोश की तरह अपने गांव-घर पहुंचने के लिए हजारों किमी पैदल और छोटी गाड़ियों से यात्रा की. कहीं कोरोना का मरीज मिलने पर पूरे इलाके को सील कर दिया जाता था. आज लंबे शोध के बाद इस वायरस का वैक्सीन तो ढूंढ़ लिया गया, लेकिन दहशत अब भी पीछा कर रही है. इस महामारी ने एक साल में लोगों की सोच और जीने का तरीका बदल दिया.
बीते एक साल में कोरोना (कोविड-19) के खौफ से न केवल लोगों की जिंदगी में, बल्कि पूरे सिस्टम में बदलाव आया है. चाहे पढ़ाई-लिखाई हो या वर्क कल्चर. कोरोना काल में ही आइटी कंपनियों के साथ-साथ अन्य कंपनियों के कर्मचारी भी ‘वर्क फ्राॅम होम’ के कल्चर से रूबरू हुए. बच्चों ने ऑनलाइन क्लास की और परीक्षाएं दीं. दूसरी ओर, सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को इस एक साल काफी हद तक दुरुस्त किया गया.
ये वही राज्य है जहां 16 मार्च के पहले कोरोना जांच की तक की सुविधा नहीं थी. आज दर्जनों जगह जांच हो रही है. जैसा की हम सभी को याद है कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 22 मार्च 2020 की शाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूरे राज्य में 23 जनवरी से लॉकडाउन की घोषणा कर दी. इससे पहले केंद्र सरकार ने 25 और 31 जनवरी को एडवाइजरी जारी कर राज्यों को अलर्ट कर दिया था. फिर एक व चार मार्च 2020 को भी ट्रैवल एडवाइजरी से लेकर होम कोरेंटिन गाइडलाइन भी जारी की गयी. इसके बाद से ही राज्य में सोशल डिस्टैंसिंग, मास्क, पीपीइ किट की गाइडलाइन जारी हुई.
1097 जिंदगियां हमने खो दीं
इन एक वर्ष में कोरोना से 1097 जिंदगी चली गयी. कई परिवार तबाह हो गये. कुछ परिवारों में एक से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी. धनबाद में एक पूरा परिवार ही समाप्त हो गया. वहीं कई संक्रमित लोगों को आज भी श्वासं संबंधी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं.
झारखंड स्टेट एपेडमिक डिजीज रेगुलेशन-2020 जारी
16 मार्च के प्रभाव से राज्य सरकार ने सभी स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दिया था. उसके बाद से जूनियर कक्षाएं आज भी बंद हैं. बच्चे अब भी अॉनलाइन क्लास कर रहे हैं. इनकी परीक्षाएं भी अॉनलाइन ही हुईं. 16 मार्च से ही सरकार ने झारखंड स्टेट एपेडमिक डिजीज(कोविड-19) रेगुलेशन-2020 जारी किया था. इसमें प्रावधान किया गया कि कोई भी व्यक्ति संक्रमण फैलाने का कारण नहीं बन सकता. ऐसा करने पर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी.
केंद्र सरकार से पहले राज्य सरकार ने लगाया लॉकडाउन
22 मार्च तक झारखंड में एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला था, लेकिन पूरे राज्य में खौफ का माहौल था. हालात के मद्देनजर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक की. फिर एहतियातन मध्य रात्रि से लॉकडाउन की घोषणा कर दी. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि लॉकडाउन के दौरान नागरिकों को सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों. हालांकि, भारत सरकार ने 24 मार्च की मध्य रात्रि से लॉकडाउन की घोषणा की थी.
हिंदपीढ़ी में आया था कोरोना का पहला केस
31 मार्च 2020 को रांची के हिंदपीढ़ी से पहला मरीज मिला था. यह एक मलेशियाई युवती थी. इसके बाद पूरे हिंदपीढ़ी क्षेत्र को सील कर दिया गया. वह महिला तबलीगी जमात से थी. फिर शुरू हुआ कोरेंटिन और जांच का सिलसिला और धीरे-धीरे राज्य में केस मिलने का सिलसिला भी. इसके बाद होम कोरेंटिन, होम आइसोलेशन भी हुआ.
झारखंड का पाकुड़ जिला रहा सबसे कम प्रभावित
लॉकडाउन दौरान जहां कोरोना हर जिले को अपने चपेट में ले रहा था तो दूसरी ओर पाकुड़ जिला एक ऐसा जिला था जहां पर कोरोना का संक्रमण अन्य जिलों के मुकाबले सबसे कम रहा. अब तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो पाकुड़ में 906 मरीज अब तक कोरोना पॉजिटिव पाए गए तो वहीं 901 लोग इस बीमारी से ठीक होकर घर जा चुके हैं और इससे मरने वाले लोगों की संख्या केवल 2 है
रांची जिला रहा सबसे सबसे ज्यादा प्रभावित रहने वाला जिला
रांची जिला से झारखंड में कोरोना का प्रसार हुआ और धीरे धीरे पूरे जिले में फैल गया. अंत में कोरोना प्रसार को रोकने के लिे सरकार को अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती करनी पड़ी और प्रशासनों को सख्त रवैया अपनाना पड़ा. अब तक रांची जिले में 33 हजार 843 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं तो वहीं दूसरी ओर 33 हजार 205 लोग इसे मात भी दे चुके हैं. वहीं रांची जिले में कोरोना से मौत की संख्या 387 है.
झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त की गयी
कोरोना मरीजों के लिए जहां राज्य में कोई इलाज की व्यवस्था नहीं थी. आइसीयू बेड की संख्या भी कम थी. फिर इसे दुरुस्त करने का सिलसिला भी शुरू हुआ. राज्य में फिलहाल 661 आइसीयू बेड हैं. 12633 कोविड केयर बेड चिह्नित किये गये. 1425 डेडिकेटेड कोविड केयर बेड हैं. 480 ऑक्सीजन सपोर्ट के बेड हैं. 671 वेंटिलेटर हैं और 2155 ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड हैं.
इन एक वर्ष में कोरोना से 1097 जिंदगी चली गयी. कई परिवार तबाह हो गये. कुछ परिवारों में एक से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी. धनबाद में एक पूरा परिवार ही समाप्त हो गया. वहीं कई संक्रमित लोगों को आज भी श्वासं संबंधी समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं.
Posted By : Sameer Oraon