शर्मनाक! झारखंड में जीवनरक्षक दवाओं की सात गुना ज्यादा वसूली जा रही है कीमत, ये दवाइयां भी बाजार से गायब
कोरोना संक्रमण के बीच जरूरी उपकरणों की भी कालाबाजारी हो रही है. रेमडेसिविर के बाद फैबीफ्लू दवा को लेकर मरीज के परिजन अस्पताल और दवा दुकानों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन दवाएं नहीं मिल रही हैं. डिमांड बढ़ते ही अस्पतालों की दवा दुकानों में सिर्फ अस्पताल के लिए इन दवाओं को सुरक्षित रखा गया है. बाहर से खरीदने वाले मरीज या आम लोगों को दवा नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है.
Jharkhand Coronavirus Update, black marketing of essential medicines for Covid 19 रांची : राजधानी में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर से आवश्यक दवाओं व मेडिकल उपकरणों की मारामारी शुरू हो गयी है. वहीं, मरीजों के परिजनों से जीवन रक्षक दवाओं के लिए एमआरपी से सात गुना ज्यादा तक कीमत वसूली जा रही है़ राजधानी में कोरोना संक्रमितों को पर्याप्त इलाज तो दूर, उन्हें जरूरी दवाएं तक नहीं मिल पा रही हैं.
कोरोना संक्रमण के बीच जरूरी उपकरणों की भी कालाबाजारी हो रही है. रेमडेसिविर के बाद फैबीफ्लू दवा को लेकर मरीज के परिजन अस्पताल और दवा दुकानों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन दवाएं नहीं मिल रही हैं. डिमांड बढ़ते ही अस्पतालों की दवा दुकानों में सिर्फ अस्पताल के लिए इन दवाओं को सुरक्षित रखा गया है. बाहर से खरीदने वाले मरीज या आम लोगों को दवा नहीं होने का हवाला दिया जा रहा है.
अपर बाजार के श्रद्धानंद रोड में एक एमआर से जब इस दवा के बारे में ग्राहक बन कर बात की गयी, उन्होंने जो कीमत बतायी वह बाजार से सात गुना ज्यादा थी.
ऑक्सीमीटर भी बाजार से गायब :
शरीर में ऑक्सीजन का स्तर नापने वाली मशीन ऑक्सीमीटर की डिमांड बढ़ने से दुकानों में इसकी उपलब्धता भी कम हो गयी है. कई जगह तो 500 से 1300 रुपये मिलनेवाला ऑक्सीमीटर दोगुने दाम में मिल रहा है. यही हाल डिजिटल थर्मामीटर, ऑक्सीजन केन और भाप लेने वाली मशीन वेपोराइजर का है. बाजार में इन सभी चाजों का शॉर्टेज है.
ये दवाइयां बाजार से गायब :
फैबीफ्लू 400, 200 एमजी, फ्लू गार्ड, फेवीवोक और कोवीहोप व इसके मिलते-जुलते मिश्रण वाली दवाइयां बाजार में नहीं मिल रही हैं.
Posted By : Sameer Oraon