Jharkhand News, Jharkhand Corona Update, Ranchi News रांची : झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर थमने का नाम नहीं ले रही है. मरीजों की अप्रत्याशित रूप से बढ़ती संख्या के कारण राज्य के निजी व सरकारी अस्पतालों में कोरोना की दवा रेमडेसिविर (जीवन रक्षक इंजेक्शन) और फेमीफ्लू के साथ बेड की भी कमी हो चली है. बेड की कमी के कारण मरीज कभी इस अस्पताल तो कभी उस अस्पताल का चक्कर लगाने को विवश हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार पहले की तुलना में कोरोना संक्रमितों की संख्या हर दिन अनुमान से अधिक बढ़ रही है. इस कारण अस्पताल प्रबंधन को एक ओर दवा तो दूसरी ओर बेड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार, कोरोना की दवा रेमडेसिविर (जीवनरक्षक इंजेक्शन) की कमी पूरे देश में है, लेकिन झारखंड में इसका ज्यादा असर दिख रहा है.
रांची के कई अस्पतालों में भर्ती कई संक्रमितों को रेमडेसिविर इंजेक्शन शनिवार को रात तक नहीं मिल सका. मरीजों से कहा गया कि इंजेक्शन का स्टॉक खत्म हो गया है. संक्रमितों के परिजनों को अपने स्तर से इंजेक्शन की व्यवस्था करने को कहा गया. हालांकि परिजन कई दुकानों पर रेमडेसिविर खरीदने गये, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी.
संक्रमितों और उनके परिजनों ने इसकी जानकारी प्रशासन को भी दी. वहीं जमशेदपुर के टीएमएच में भी 12 से 15 वायल ही बचा है. वहां भी रेमडेसिविर का संकट है. अस्पतालों में फेमीफ्लू का स्टॉक भी खत्म होने को है. राजधानी के कई अस्पतालों में यह दवा भी नाममात्र का है. स्टॉकिस्टों की मानें तो अब उनके पास दवा नहीं है. बचा हुआ स्टॉक अस्पतालों को मुहैया करा दिया गया है. अगर समय रहते दवाओं का स्टॉक नहीं आया तो समस्या बढ़ जायेगी.
राजधानी के एक बड़े दवा स्टॉकिस्ट ने बताया कि झारखंड में रेमडेसिविर की खपत करीब 2,500 से 3,500 वायल प्रतिदिन है. वहीं सिर्फ राजधानी में भर्ती संक्रमितों के लिए 600 से 800 वायल दवा की जरूरत है, जबकि मुश्किल से 50 से 100 वायल ही दवा मिल पा रही है. मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि एक मरीज को चार से छह वायल दवा के डोज की जरूरत होती है. रेमडेसिविर शुरू होने पर दवा की पूरी डोज को लेना जरूरी है. इस इंजेक्शन की कीमत 2000 से 4500 रुपये तक है.
रेमडेसिविर की डिमांड व उपलब्धता नहीं होने पर स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है. रेमडेसिविर का दुरुपयोग नहीं हो, इसके लिए औषधि निदेशालय की देखरेख में यह दवा सीधे अस्पतालों को दी जाती है. दवा की कमी को देखते हुए औषधि निदेशालय ने राजधानी के स्टॉकिस्टो से संपर्क साधा है.
उनके माध्यम से दवा कंपनियों पर दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन उनका कहना है कि स्टॉक नहीं है. देश में एक्टिव केस कम होने के कारण उत्पादन कम कर दिया गया था, अब तत्काल इसका उत्पादन नहीं हो सकता है. कुछ समय मिलने पर ही दवाएं मुहैया करायी जा सकती हैं. रेमडेसिविर दवा बनानेवाली कंपनियों में डाॅ रेड्डी, सिप्ला, हेट्रो, जेड मार्क और जूब्लियेंट शामिल है.
रेमडेसिविर एक एंटी वायरल ड्रग है, जिसका उपयोग कोरोना के सिम्टोमैटिक व गंभीर संक्रमितों में किया जाता है. क्लीनिकल ट्रायल के साथ इमर्जेंसी में इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति दी गयी है. यह जीवन रक्षक दवा है, क्रिटिकल केयर डॉक्टर विशेष परिस्थिति में मरीजों को देते हैं.
रेमडेसिविर की कमी पूरे देश में है. दवा की उपलब्धता का प्रयास किया जा रहा है. उम्मीद है कि जल्द इस समस्या से हम उबर जायेंगे. रिम्स में बेड की संख्या बढ़ायी जा रही है. हालात पर हमारी नजर है.
केके सोन, स्वास्थ्य सचिव
रेमडेसिविर का इंजेक्शन अस्पतालों को मुहैया कराया जा रहा है. सोमवार तक कुछ स्टॉक आ रहा है. बुधवार तक उम्मीद है कि हम पर्याप्त स्टॉक मंगा पाये. कई कंपनियों को ऑर्डर दिया गया है. अचानक डिमांड बढ़ने से स्टॉक खत्म हो गया है. कंपनी से बात कर स्टॉक डायवर्ट कराया जा रहा है. चार से पांच कंपनियों से संपर्क किया गया है.
रितू सहाय, ड्रग कंट्रोलर
रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लोगों से कोविड-19 को लेकर सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि सभी लोग मास्क का इस्तेमाल और सामाजिक दूरी का पालन जरूर करें. सबकी मदद से ही कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है.
उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर झारखंड में दस्तक दे चुकी है. संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में वैक्सीन लेने के साथ सतर्कता का भी ध्यान रखना होगा. कोविड-19 को हल्के में बिल्कुल न लें. प्रशासन को सहयोग करें और निर्देशों का पालन करें.
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रेमडेसिविर की खपत प्रति दिन होती है राज्य के अस्पतालों में
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राजधानी के अस्पतालों में कई गंभीर संक्रमितों को शनिवार को नहीं मिल पाया इंजेक्शन
इटकी निवासी एक दंपती राजधानी के निजी अस्पताल में भर्ती है. पति-पत्नी को रेमडेसिविर के चार डोज लग चुके हैं. पांचवां डोज शनिवार को लगना था, लेकिन दवा की उपलब्धता नहीं होने के कारण देर रात तक इंजेक्शन नहीं लग पाया. रविवार की सुबह इंजेक्शन मिल पाया. दवा का डोज एक दिन बढ़ जाने से संक्रमित दंपती को एक दिन ज्यादा अस्पताल में भर्ती रहना पड़ेगा.
Posted By : Sameer Oraon