कोरोना के बढ़ते मामले को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की बैठक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा राज्य के अस्पतालों में की गयी व्यवस्था से अवगत कराया गया. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता व अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में 19,535 बेड उपलब्ध हैं. इसमें 11,356 ऑक्सीजन सपोर्टेट बेड और 5,276 नॉन-ऑक्सीजन बेड हैं. वहीं, 1,447 आइसीयू व 1,456 वेंटिलेटर हैं. सरकारी अस्पताल में पीडियेट्रिक आइसीयू बेड की संख्या 510 है.
वहीं, 455 बच्चे के इलाज के लिए हाइ डिपेंडेंसी यूनिट बेड है. इसके अलावा राज्य में 122 पीएसए प्लांट लगाये गये हैं. राज्य में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है. पांच सरकारी और छह निजी अस्पताल में कुल 11 लिक्वीड मेडिकल ऑक्सीजन क्रियाशील है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में 27 जगह लिक्वीड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए कार्यादेश निर्गत किया गया है.
जांच के लिए भी सरकारी व निजी लैब में व्यवस्था : मुख्यमंत्री को यह भी बताया गया कि कोरोना की आरटीपीसीआर और रैपिड जांच के लिए सरकारी व निजी लैब में पर्याप्त व्यवस्था है. राज्य में 297 ट्रूनेट मशीन हैं, जबकि 10,68,877 रैपिड एंटीजन किट और 3,59,933 वीटीएम किट उपलब्ध हैं. राज्य में पहले से आठ आरटीपीसीआर लैब (रिम्स, एमजीएम, पीएमसीएच, फूलो झानो मेडिकल कॉलेज दुमका, मेदिनीनगर मेडिकल कॉलेज, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज, धनबाद, शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज हजारीबाग, इटकी, जिला वायरोलॉजी लैब साहिबगंज) संचालित हैं.
इसके अलावा 12 जिलों (गढ़वा, लातेहार, कोडरमा, गिरिडीह, खूंटी, सिमडेगा, लोहरदगा, चतरा, पाकुड़, जामताड़ा, रामगढ़ और सरायकेला) में भी आरटीपीसीआर लैब स्थापित है. आइसीएमआर से स्वीकृत 19 लैब को भी क्रियाशील कर लिया जायेगा. रिम्स में जिनोम सिक्वेसिंग मशीन जुलाई 2022 में शुरू की गयी है.