अंचल कार्यालय कांके हल्का-9 की गेतलातू मौजा की 4.44 एकड़ जमीन की पंजी-2 के साथ छेड़छाड़ का मामला प्रकाश में आया है. इस जमीन की कीमत लगभग 50 करोड़ रुपये आंकी गयी है. मामला तब पकड़ में आया, जब गेतलातू मौजा की खाता संख्या-86, प्लाॅट संख्या-591, 592, 593, 594, 634, 640, 641, 642, 651, 652, 653, 673, 674, 675 की 4.44 एकड़ जमीन से प्लाॅट संख्या-592 की पांच डिसमिल की क्रेता शिवाजी नगर, डुमरदगा की आशा देवी ने दाखिल-खारिज के लिए आवेदन दिया.
कर्मचारी व सीआइ ने जांच के क्रम में पाया कि उक्त जमीन की कभी जमाबंदी कायम ही नहीं हुई है. उसके बावजूद ऑनलाइन पंजी 2 के साथ छेड़छाड़ कर जमाबंदी खोली गयी है. उक्त सीएनटी की जमीन पर राजकुमार यादव के नाम से पंजी-2 में प्लाॅट संख्या-592 के भाग संख्या-01, पृष्ट संख्या-204 पर दर्ज था.
ऐसा एनआइसी की साइट से छेड़छाड़ कर किया गया था. जांच में यह भी पाया गया कि राजकुमार यादव ने उक्त सीएनटी की जमीन कोलकाता से रजिस्ट्री डीड बनाकर छेड़छाड़ कर पंजी-2 में अपना नाम दर्ज कराया था. कांके सीओ को इसकी जानकारी मिलते ही अपर समाहर्ता को सूचना देकर जमाबंदी रद्द करायी गयी.
इस मामले में सीओ ने जमीन मालिक व विक्रेता बांका बिहार निवासी राजकुमार यादव, पिता बंगाली यादव व पावर होल्डर गेतलातू निवासी शिवदयाल महतो, पिता स्व लक्ष्मण महतो को चार बार 01 नवंबर 2022, 18 नवंबर 2022, 24 दिसंबर 2022 व 07 जनवरी 2023 नोटिस भेजकर पक्ष रखने को बुलाया. पर राजकुमार यादव एवं शिवदयाल महतो का वकील सीओ कोर्ट में दो डेट पर हाजिरी देकर कोई भी सही दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सका.
राजकुमार यादव ने दोबारा उक्त खाता संख्या-86 के प्लाॅट संख्या 591 की 1.92 एकड़ जमीन का भाग संख्या-01 पृष्ट संख्या-44 की जमाबंदी में छेड़छाड़ कर खोलवा दिया. उक्त प्लाॅट पर जाकर पूछताछ करने पर पाया गया कि इसमें जमीन मालिक व पावर होल्डर के पीछे कुछ सफेदपोश लोगों का हाथ है.
इस संबध में सीओ दिवाकर सी द्विवेदी ने बताया कि पंजी-2 से छेड़छाड़ किये जाने संबंधी सूचना वरीय पदाधिकारियों को दी गयी है. वरीय पदाधिकारियों से निर्देश प्राप्त होते ही आगे कानूनी कार्रवाई की जायेगी. सीओ ने बताया कि गेतलातू मौजा की उक्त जमीन के खतियान में रैयत पलटू महतो वगैरह के नाम दर्ज हैं.
राजकुमार यादव ने इस जमीन की कोलकाता से 18.12.80 को पलटू के वशंज सोहन महतो, कपिल महतो वगैरह से रजिस्ट्री करायी थी. इस जमीन की रजिस्ट्री रांची से नहीं कराकर कोलकाता से करायी गयी है. इस पर सीओ ने गड़बड़ी की आशंका जतायी है. बंगाल से करायी गयी डीड भी जाली हो सकती है. जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि कोलकाता से रजिस्ट्री करायी गयी डीड असली है या नकली.