रांची : चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) अनीस अग्रवाल का चपरासी विजय कुमार वर्मा दो-दो कागजी प्रतिष्ठानों का मालिक है. उसके नाम पर बने प्रतिष्ठान से करोड़ों का लेन-देन हुआ है. बैंक ऑफ इंडिया (बीओआइ) में हुए घोटाले की जांच में इसकी जानकारी मिली. संबंधित सीए भी इस घोटाले में आरोपी हैं. उसके खिलाफ सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने वारंट जारी कर रखा है. हाइकोर्ट से सीए की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी है.
सीबीआइ जांच के दौरान चपरासी के नाम पर बने प्रतिष्ठानों के माध्यम से बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी सरावगी बंधुओं से जुड़ी कंपनियों के खातों में करोड़ का लेन-देन किया गया है. जांच के प्रारंभिक चरण में सीए के चपरासी के नाम पर सिर्फ एक प्रतिष्ठान होने की जानकारी मिली थी.
जांच में पाया गया था कि मेसर्स जगदंबा एसोसिएट का मालिक सीए का चपरासी विजय वर्मा है. सरावगी बंधुओं ने बीओआइ से कपड़ा व्यापार के नाम पर लिये गये कर्ज की रकम में से 6.69 करोड़ रुपये चपरासी के प्रतिष्ठान में ट्रांसफर किये. इसके बाद इसमेंं से 1.84 करोड़ रुपये सरावगी बिल्डर्स एंड प्रोमोटर्स के खाते में ट्रांसफर किये गये.
सरावगी बंधुओं ने कपड़ा व्यापार के नाम पर जालसाजी कर बैंक से 17 जुलाई 2015 को 15 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था. इससे पहले भी प्रतिष्ठान के खाते से 26.50 लाख रुपये का लेन-देन सरावगी बंधुओं की कंपनियों से किया गया था. जांच में सीए के चपरासी विजय के नाम पर मेसर्स रामकृष्णा इंटरप्राइजेज नामक दूसरे प्रतिष्ठान की भी जानकारी मिली है. इस प्रतिष्ठान का बैंक खाता एचडीएफसी में है. चपरासी के मालिकाना हकवाले इस प्रतिष्ठान से भी सरावगी बंधुओं की राम कोमोट्रेड नामक कंपनी में लेन-देन किया गया है.
सीबीआइ ने अपनी जांच रिपोर्ट में सीए द्वारा अपने चपरासी के नाम पर खाता खोल कर सरावगी बंधुओं द्वारा बैंक से लिये गये कर्ज की रकम का दूसरे काम में इस्तेमाल करने में मदद करने का आरोप लगाया है. हालांकि बैंक घोटाले के इस मामले में जारी कानूनी जंग के दौरान सीए इन आरोपों को गलत बताते हैं. साथ ही अपने चपरासी को ही सरावगी बंधुओं से लेन-देन के लिए जिम्मेवार बताते हैं. ज्ञात हो कि सीबीआइ ने सरावगी बंधुओं पर बैंक जालसाजी के आरोप में तीन प्राथमिकी दर्ज की है. तीनों में प्रथम आरोप पत्र दायर किया जा चुका है और आगे की जांच जारी है.
Posted By: Sameer Oraon