जालसाजी केस में केजरीवाल बंधुओं पर होगा प्राथमिकी, रांची में स्थित जमीन की मुंबई में करायी है रजिस्ट्री

जालसाजी केस में आरोपी केजरीवाल बंधुओं पर डीसी छवि रंजन ने प्राथिमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. उनलोगों पर आरोप है कि उन्होंने रांची के हेहल अंचल में स्थित सर्ड से संबंधित 16.22 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री आपने नाम मुंबई में करायी थी.

By Prabhat Khabar News Desk | January 22, 2022 10:29 AM

रांची : रांची डीसी छवि रंजन ने जालसाजी केस में केजरीवाल बंधुओं पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है. केजरीवाल बंधुओं ने रांची के हेहल अंचल में स्थित सर्ड से संबंधित 16.22 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री आपने नाम मुंबई में करायी थी. डीसी ने मुंबई में निबंधित कराये गये पांचों सेल डीड को रद्द कर दिया है.

साथ ही इस मामले में रांची के तत्कालीन सबरजिस्ट्रार के खिलाफ जांच कर विभागीय कार्यवाही करने का आदेश दिया है. उन्होंने यह आदेश हेहल अंचल की इस जमीन से संबंधित मामले की सुनवाई के बाद दिया है. यहां बता दें कि यह जमीन सर्ड (स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट) से संबंधित है, जो राज्य सरकार की संस्था है.

नमिता शाहदेव ने बेची, तो रूपा नाथ की रद्द करने की मांग :

नमिता शाहदेव ने हेहल अंचल के खाता नंबर 176, प्लॉट नंबर 43 और 44 की 16.22 एकड़ जमीन वर्ष 2000 में केजरीवाल बंधुओं के नाम मुंबई में पांच सेल डीड के सहारे बेची थी. जमीन की रजिस्ट्री ललिता केजरीवाल, संगीता केजरीवाल, अशोक केजरीवाल और प्रदीप केजरीवाल के नाम पर हुई थी.

बिहार या झारखंड के जमीन की रजिस्ट्री दूसरे राज्यों में नहीं हो सकती :

रूपा नाथ शाहदेव ने जमीन की इस खरीद-बिक्री को ‘रजिस्ट्रेशन एक्ट ’के विरुद्ध बताते हुए मुंबई में निबंधित कराये गये पांचों सेल डीड को रद्द करने की मांग की थी. इस मांग के आलोक में सब-रजिस्ट्रार ने जनवरी 2018 में डीसी को अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसमें कहा गया कि इंडियन रजिस्ट्रेशन (बिहार संशोधित) एक्ट 1991 की धारा 30 के तहत बिहार या झारखंड के क्षेत्र की जमीन की रजिस्ट्री दूसरे राज्यों में नहीं की जा सकती है.

इसलिए मुंबई में निबंधित कराये गये सेल डीड की कानूनी वैधता नहीं है. सब-रजिस्ट्रार की रिपोर्ट पर डीसी की अदालत में केस की सुनवाई शुरू हुई. सुनवाई पूरी होने के बाद डीसी ने जनवरी 2022 में आदेश पारित किया. इसमें लिखा कि खरीदारों और बेचनेवाले ने मुंबई में निबंधित सेल डीड के वैध नहीं होने की जानकारी होने के बावजूद साजिश के तहत पांच साल बाद इसे रांची के तत्कालीन सब-रजिस्ट्रार के सामने पेश किया.

तत्कालीन रजिस्ट्रार ने 25 अगस्त 2005 को एक पत्र जारी कर मुंबई में निबंधित सेल डीड से संबंधित अंतर की राशि जमा करने का आदेश दिया. इसके बाद केजरीवाल बंधुओं ने अंतर की राशि को जमा कर मुंबई में निबंधित सेल डीड को रांची में निबंधित कराने में कामयाबी हासिल कर ली.

खरीदनेवाले रांची निवासी, पर म्यूटेशन मुंबई में :

इस जमीन संबंधित एक मामले में (एलपीए नंबर 620-2015) हाइकोर्ट ने लिखा है कि कोई नहीं जानता कि नमिता शाहदेव कानून की नजर में इस जमीन की मालिक हैं या नहीं? नमिता के नाम पर कभी म्यूटेशन नहीं हुआ. बेचने और खरीदनेवाले दोनों ही रांची के निवासी हैं. फिर भी जमीन की रजिस्ट्री मुंबई में करायी गयी, हो सकता हो इसके पीछे कोई गलत नीयत हो. मुंबई में कराया गया निबंधन रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 30 का उल्लंघन है.

Posted By : Sameer Oraon

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