रांची के सेंट्रल जेल में फांसी से झूलता मिला कैदी, जेल अधीक्षक पर लगा हत्या का आरोप, प्रशासन पर उठ रहे कई सवाल
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार में एक कैदी का शव फांसी से झूलता मिला, घटना शनिवार रात 9.45 बजे की है, उसके पैर पर लिखा था जेलर ने मेरा मर्डर किया है. जिसके बाद जेल अधीक्षक समेत प्रशासन पर सवाल उठने शुरू हो गये हैं.
Ranchi Crime News रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार में शनिवार की रात करीब 9.45 बजे अपहरण, हत्या और आर्म्स एक्ट के आरोपी न्यायिक बंदी वीरेंद्र उर्फ बिरे उर्फ वीरेंद्र मुंडा (32 वर्ष) ने फांसी लगा आत्महत्या कर ली. वहीं उसके पैर पर बॉल पेन से लिखा हुआ था कि जेलर ने मुझे माडर (मर्डर) किया है़ दूसरी ओर जेलर मो नसीम का कहना है कि वह मानसिक रूप से बीमार था. वह कुछ भी कर सकता है. उधर, मृतक का मजिस्ट्रेट के समक्ष पुलिस ने पंचनामा किया.
लेकिन मृतक के पैर पर लिखी बात का उल्लेख पंचनामा में नहीं किया गया. इसके बाद रिम्स में चिकित्सकों के बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया. उसकी वीडियोग्राफी भी करायी गयी है. मिली जानकारी के अनुसार मृतक वीरेंद्र लापुंग थाना क्षेत्र के राइटोली का निवासी था़ पांच जुलाई 2021 से वह जेल में बंद था़ जेल प्रशासन के अनुसार, 15 नवंबर 2021 से उसका जेल अस्पताल में इलाज चल रहा था़ उसकी स्थिति ठीक नहीं रह रही थी.
उसकी उग्रता को देखते हुए उसे सेल में रखा गया था़ वीरेंद्र ने जेल की सेल में दरवाजे के साढ़े छह फीट की चौखट में गमछा का फंदा बनाकर फांसी लगायी. जब इसकी जानकारी पहरा दे रहे दो कक्षपालों को मिली, तो उन्होंने तत्काल जेल प्रशासन को इसके बारे में सूचना दी़ इसके बाद अफरा-तफरी में जेल की एंबुलेंस से उसे रात में ही रिम्स भिजवाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया़
बंदी वीरेंद्र उरांव कुछ दिनों से डिप्रेशन में था और वह विक्षिप्त की तरह व्यवहार कर रहा था़ उसके घर में कुछ दिनों पहले किसी की मौत हो गयी थी. इसके बाद से वह काफी परेशान रहता था़ उग्र हो जाया करता था़ इस कारण उसे सेल में रखा गया था.
हामिद अख्तर, जेल अधीक्षक
साढ़े छह फीट की चौखट कैदी पांच फीट तीन इंच का
जेलर नसीम ने बताया कि सेल के चौखट की ऊंचाई साढ़े छह फीट है. इसी चौखट में गमछा से बंदी वीरेंद्र उरांव ने फांसी लगाकर आत्महत्या की. कैदी ने गमछे का एक हिस्सा चौखट में बांधा और दूसरे हिस्से से गले काे बांधकर फांसी लगा ली. हालांकि कैदी खुद पांच फीट तीन इंच का है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि इतनी कम जगह (ऊंचाई) में कोई खुद को फांसी पर लटका सकता है?
घटना की तस्वीर नहीं ली गयी, थाने को सूचना नहीं
शनिवार की रात पौने दस बजे बंदी ने फांसी लगायी. इसके बाद उसे गमछे के फंदे से सुरक्षाकर्मियों ने उतारा. लेकिन इस घटना की तस्वीर नहीं ली गयी. स्थानीय खेलगांव थाने को भी जेल प्रशासन ने तत्काल सूचना नहीं दी.
मनोचिकित्सक नहीं, जेल के डॉक्टर कर रहे थे इलाज
जेल में एक भी मनोचिकित्सक नहीं है. ऐसे में जब बंदी मानसिक रोग से पीड़ित था, तब उसका इलाज मनोचिकित्सा केंद्र रिनपास में या किसी मनोचिकित्सक से क्यों नहीं कराया गया. जेल के डॉक्टर से उसका इलाज क्यों कराया जा रहा था.
Posted By : Sameer Oraon