रांची : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2022 का आंकड़ा जारी कर दिया है. इसमें हर राज्यों का आपराधिक आंकड़ा जारी किया गया है. जारी आंकड़े के अनुसार, इस अवधि में झारखंड में कुल 48726 आपराधिक मामले दर्ज किये गये. हालांकि वर्ष 2020 की तुलना में राज्य में आपराधिक मामलों में कमी आयी है. वर्ष 2020 में कुल 51033 मामले दर्ज किये गये थे. वहीं संज्ञेय अपराध के 58 प्रतिशत मामले में झारखंड पुलिस चार्जशीट दायर कर चुकी है. 4172 मामलों का निष्पादन और 4115 केस का ट्रायल पूरा हुआ. झारखंड के ट्रायल कोर्ट में 30019 मामले चल रहे हैं. पुलिस की कार्रवाई के बाद सजा की दर 29.4 फीसदी है. वर्ष 2022 में झारखंड में कुल 1550 हत्या के मामले दर्ज किये गये.
हत्या के प्रयास के 2862 केस थाने तक पहुंचे. वहीं चोरी के 4618 केस दर्ज किये गये. आंकड़े के अनुसार, लापरवाही के कारण 3798 लोगों की मौत हो गयी. सड़क हादसे के 3694 केस दर्ज किये गये. इसमें 4034 पीड़ित सामने आये हैं. इस दौरान हीट एंड रन के 2120 केस दर्ज किये. इसमें पीड़ित 2352 रहे. कुछ केस थाना तक नहीं पहुंच पाये. दहेज उत्पीड़न में मौत के 208 मामले पुलिस तक पहुंचे. इनमें 214 पीड़ित महिलाएं थीं. महिलाओं के दहेज उत्पीड़न में मौत के अपराध की दर 11 प्रतिशत रही.. रेप के 1298 मामले पूरे राज्य में दर्ज किये गये. झारखंड में एसिड अटैक के एक मामले दर्ज किये गये. महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार में 579 केस दर्ज किये गये. झारखंड में यौन उत्पीड़न के 140 मामले पुलिस तक पहुंचे. इधर झारखंड में बच्चों के खिलाफ अपराध बढ़े हैं. वर्ष 2020 में बच्चों के खिलाफ अपराध के 1795 मामले दर्ज हुए थे. वहीं 2022 बच्चों के खिलाफ 1917 अपराध हुए. 65 बच्चे लापता हैं. इनके अपहरण की आशंका है. वहीं राज्य में अपहरण के कुल 1899 मामले दर्ज हुए. वहीं रंगदारी के लिए अपहरण के 35 मामलों में पुलिस को शिकायत मिली.
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राज्य में बुजुर्गों के खिलाफ अपराध के मामले तेजी से बढ़े हैं. वर्ष 2020 में बुजुर्गों के खिलाफ मात्र दो मामले दर्ज हुए थे. वहीं 2022 में यह बढ़कर 62 हो गया.
राज्य में अनुसूचित जाति के खिलाफ अपराध के मामले बढ़े हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ घटनाओं में कमी आयी है. वर्ष 2020 में 666 मामले एससी उत्पीड़न के मामले दर्ज किये गये थे, वहीं 2022 में बढ़कर 674 हो गये. एसटी उत्पीड़न के 347 मामले 2020 में थाने पहुंचे, वह घटकर 283 हो गये.
झारखंड के निजी व सरकारी अस्पतालों को मिलाकर दो केस दर्ज हुए हैं. यह मामला चिकित्सा में लापरवाही का है.