Loading election data...

झारखंड में मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने सीआरपीएफ जवान को किया था अगवा, नौ माह से है लापता

करीब 10 दिन पूर्व यह बात सामने आयी थी कि बादल मुर्मू जीवित है और कोल्हान के जंगल में ही ही नक्सलियों के कब्जे में है. लेकिन जब पुलिस के स्तर से मामले का सत्यापन किया गया. तब उसके जीवित होने की बात सामने नहीं आयी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 24, 2023 10:31 AM
an image

रांची, अमन तिवारी : नौ माह पहले चाईबासा में नक्सल अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ में लापता सीआरपीएफ जवान बादल मुर्मू का नक्सलियों ने अपहरण किया था. इसके बाद उसकी हत्या कर शव जंगल में दफना दिया गया था. हाल ही में नक्सलियों के टेलीफोनिक बातचीत के दौरान यह बात पुलिस अधिकारियों को सुनने को मिली. हालांकि अभी तक शव नहीं मिलने के कारण पुलिस अधिकारी हत्या की पुष्टि नहीं कर रहे हैं. जानकारी के अनुसार, हाल ही में एक मुठभेड़ के बाद एक नक्सली का कॉल इंटरसेप्ट किया गया था. उस नक्सली को साथी नक्सलियों से मोबाइल पर बात करने के दौरान यह कहते सुना गया कि जो जवान कब्जे में था, उसकी हत्या कर शव को जंगल में दफना दिया गया है. इधर पुलिस सूत्रों के अनुसार, करीब 10 दिन पूर्व यह बात सामने आयी थी कि बादल मुर्मू जीवित है और कोल्हान के जंगल में ही ही नक्सलियों के कब्जे में है. लेकिन जब पुलिस के स्तर से मामले का सत्यापन किया गया. तब उसके जीवित होने की बात सामने नहीं आयी.

बादल मुर्मू सरायकेला के राजनगर का रहनेवाला है. जनवरी 2023 में नक्सलियों के खिलाफ शुरू किये गये अभियान में वह शामिल था. नक्सलियों ने पुलिस को ट्रैप करने के लिए जगह- जगह स्पाइक हॉल्स और आइइडी लगा रखे थे. अभियान के दौरान ही बादल मुर्मू उनके ट्रैप में फंसा था और नक्सलियों ने उसका अपहरण कर लिया था. हालांकि अभी तक नक्सलियों ने उसकी हत्या की जिम्मेवारी नहीं ली है. बिहार- झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता आजाद के अनुसार नक्सल अभियान के दौरान जब कोई आदिवासी जवान मारा जाता हैं, तब उसकी हकीकत को छिपाया जाता है. इसका उदाहरण बादल मुर्मू है. उसे कोल्हान में जारी नक्सल अभियान में भेजा गया था. वह संभवत: मारा गया है. पर उसकी मौत की सच्चाई को छिपाने के लिए उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया है.

बादल के मरने या जीवित होने के संबंध में अभी कोई क्लियरिटी नहीं है. लेकिन जिस इलाके में वह लापता हुआ था, इससे उसके बचे होने की उम्मीद अब नहीं है.

-आशुतोष शेखर, एसपी चाईबासा

Also Read: लोहरदगा में सो रहे परिवार पर गिरा मकान, पांच दबे, दो की हालत गंभीर

Exit mobile version