एल खियांगते बने झारखंड के नये मुख्य सचिव, इन पदों पर भी निभा चुके हैं जिम्मेदारी
मुख्य सचिव एल खियांगते मूल रूप से मिजोरम के रहनेवाले हैं. उन्होंने इतिहास से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 1988 में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में योगदान दिया.
रांची : राज्य सरकार ने एल खियांगते को राज्य का नया मुख्य सचिव नियुक्त किया है. वह राज्य के 24वें मुख्य सचिव होंगे. कार्मिक प्रशासनिक विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गयी है. अधिसूचना में कहा गया है कि राज्य के मुख्य सचिव के पद पर पदस्थापित सुखदेव सिंह (1987 बैच) को स्थानांतरित करते हुए अगले आदेश तक श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक के पद पर पदस्थापित किया जाता है. श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक के पद पर पदस्थापित एल खियांगते (1988 बैच) को अगले आदेश तक राज्य के मुख्य सचिव के पद पर पदस्थापित किया जाता है. राज्य सरकार द्वारा तबादले से संबंधित अधिसूचना जारी होने के तत्काल बाद सुखदेव सिंह ने स्वतः पद त्याग दिया.
कई महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थापित रहे हैं खियांगते
मुख्य सचिव एल खियांगते मूलतः मिजोरम के रहनेवाले हैं. उन्होंने इतिहास से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने के बाद वर्ष 1988 में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) में योगदान दिया. एकीकृत बिहार के बक्सर जिले में जिलाधिकारी के रूप में काम किया. राज्य के विभाजन के बाद उन्हें झारखंड कैडर आवंटित किया गया. झारखंड में उन्होंने आदिवासी कल्याण आयुक्त के अलावा आदिवासी कल्याण सचिव के रूप में भी काम किया. वह भवन निर्माण विभाग में भी सचिव के रूप में पदस्थापित रहे. उन्होंने पंचायती राज, एनआरइपी के अलावा विज्ञान प्रावैधिकी विभाग में प्रधान सचिव के रूप में काम किया. उन्होंने झारखंड प्रतियोगी परीक्षा पर्षद के परीक्षा नियंत्रक के रूप में भी काम किया. वर्ष 2018 से 2020 तक वह राज्य में सीइओ रहे.
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राज्य के नये मुख्य सचिव का परिचय
नाम : लाल बियाक्त लुंगा खियांगते
जन्म तिथि : 26-10-1964
बैच : 1988
डोमेसाइल : मिजोरम
मातृभाषा : मिजो
अन्य भाषाएं : अंग्रेजी
शिक्षा : इतिहास से स्नातक
झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 15 से
रांची. झारखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से आरंभ होगा, जो 22 तक चलेगा. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने झारखंड विधानसभा का सत्र आहूत करने के प्रस्ताव पर स्वीकृति प्रदान कर दी है. इस सत्र में स्थानीयता, आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने, सरना कोड जैसे मुद्दे छाये रहने की संभावना है.