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झारखंड में साइबर अपराधी रजिस्ट्री ऑफिस से निकाल रहे अंगूठे का निशान, उसका क्लोन बना खाते से उड़ा रहे पैसे

साइबर अपराधी हर दिन ठगी का नये-नये तरीके अपना रहे हैं. अब जालसाज अंगूठे का क्लोन बना कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) से ठगी कर रहे हैं. साइबर अपराधी मुख्य रूप से रजिस्ट्री ऑफिस से अंगूठे का निशान लेकर उसका क्लोन बनाकर संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से एआइपीएस के जरिये निकासी कर लेते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 21, 2022 6:37 AM

रांची: साइबर अपराधी हर दिन ठगी का नये-नये तरीके अपना रहे हैं. अब जालसाज अंगूठे का क्लोन बना कर आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम (एइपीएस) से ठगी कर रहे हैं. इस संबंध में साइबर मामलों के अधिकारी ने बताया कि साइबर अपराधी मुख्य रूप से रजिस्ट्री ऑफिस से अंगूठे का निशान लेकर उसका क्लोन बनाकर संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते से एआइपीएस के जरिये निकासी कर लेते हैं.

इस गिरोह का सिंडिकेट पूरे देश में फैला हुआ है. रांची के एक व्यक्ति के खाते से राजस्थान से पैसे निकाल लिये गये. चूंकि इस प्रकार का साइबर अपराधी अभी पकड़ा नहीं गया है, इस कारण यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि वह कैसे राशि की निकासी करते हैं. अरगोड़ा व जगन्नाथपुर में भी ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं. रांची के एक व्यक्ति के खाते से दो लाख से अधिक की राशि निकाल ली गयी. एआइपीएस के माध्यम से एक बार में 10,000 रुपये निकाला जा सकता है. कई बार में संबंधित व्यक्ति के 2,00,000 से अधिक रुपये निकाले गये.

जमीन रजिस्ट्री करानेवालों के खातों से हुई निकासी : मुख्य रूप से रजिस्ट्री ऑफिस से ही अंगूठे की निशान की चोरी होती है. एसपी स्तर के अधिकारी ने रांची सहित विभिन्न जिलों के रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मियाें की मिलीभगत होने की बात कही. उसके बाद रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मियों पर अंकुश लगाया गया है.

बॉयोमीट्रिक सिस्टम लॉक कर बचा जा सकता है ठगी से

रांची जिला के साइबर सेल की डीएसपी यशोधरा ने बताया कि इस तरह की ठगी से बचने का एक आसान उपाय है. गूगल प्ले स्टोर से आप ‘ एम आधार’ डाउनलोड कर करें. ‘एम आधार ‘ डाउनलोड करने के बाद उसमें आधार कार्ड नंबर डालने पर आपके मोबाइल पर ओटीपी आता है. उसे डाल कर आप बायोमीट्रिक सिस्टम को लॉक कर दें. बाद में जब भी जरूरत पड़े, तो उसी ऐप के जरिये बायोमीट्रिक सिस्टम को अनलॉक करें और अपना काम करें. ऐसा कर के आप इस तरह की ठगी से बच सकते हैं.

रिपोर्ट- अजय दयाल

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