रांची : झारखंड हाइकोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को नहीं के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने विधानसभाध्यक्ष द्वारा जारी नोटिस को चुनाैती देनेवाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई के दाैरान अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आइए याचिका (अमेंडमेंट पिटीशन) को स्वीकार कर लिया. अदालत ने विधानसभा की दलील को खारिज करते हुए अमेंडमेंट की अनुमति प्रदान की तथा मामले को सक्षम बेंच (खंडपीठ) में हस्तांतरित करने के लिए रजिस्ट्रार को निर्देश दिया.
बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष घोषित करने के मामले की भी सुनवाई इसी मामले के साथ होगी. इससे पूर्व आइए याचिका पर सुनवाई के दाैरान प्रार्थी बाबूलाल मरांडी की अोर से वरीय अधिवक्ता आरएन सहाय, भाजपा की अोर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता आर वेंकटरमण व अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने पक्ष रखा. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि विधानसभाध्यक्ष को स्वत: संज्ञान लेने का जो अधिकार दिया गया है, वह सही नहीं है.
विधानसभाध्यक्ष को 10वीं अनुसूची में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है. विधानसभाध्यक्ष ने दलबदल मामले में स्वत: संज्ञान से बाबूलाल मरांडी के खिलाफ 10वीं अनुसूची के तहत कार्रवाई करते हुए शो कॉज नोटिस जारी किया है, जो गलत है. विधानसभा के नियम को चुनाैती देनेवाली उनकी याचिका को स्वीकार करने का आग्रह किया.
वहीं विधानसभा की अोर से अधिवक्ता मनोज टंडन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पक्ष रखते हुए याचिका में संशोधन का (आइए याचिका) विरोध किया. कहा कि यह नियमानुसार सही नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी बाबूलाल मरांडी ने याचिका दायर कर झारखंड विधानसभाध्यक्ष द्वारा दलबदल मामले में जारी शो कॉज नोटिस को चुनाैती दी है.
भाजपा की ओर से भी याचिका दायर कर विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता घोषित करने के लिए उचित आदेश देने की मांग की गयी है. याचिका में कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी झारखंड प्रदेश ने बाबूलाल मरांडी को विधायक दल का नेता चुना था. इसकी विधिवत सूचना विधानसभाध्यक्ष को दी गयी, लेकिन विधानसभाध्यक्ष ने अब तक बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता नहीं दी है.
posted by : sameer oraon