Pre Budget Meeting News : प्री बजट मीटिंग में झारखंड ने केंद्र सरकार से मांगे बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये

झारखंड सरकार ने एक बार फिर राष्ट्रीय फोरम पर केंद्र सरकार के समक्ष अपने बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये के भुगतान की मांग रखी है. राजस्थान के जैसलमेर में वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट को लेकर बुलायी गयी प्री-बजट मीटिंग में झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने यह मांग उठायी है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 21, 2024 12:02 AM
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रांची़ झारखंड सरकार ने एक बार फिर राष्ट्रीय फोरम पर केंद्र सरकार के समक्ष अपने बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये के भुगतान की मांग रखी है. राजस्थान के जैसलमेर में वित्तीय वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट को लेकर बुलायी गयी प्री-बजट मीटिंग में झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने यह मांग उठायी है. प्री-बजट बैठक में कश्मीर के मुख्यमंत्री, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री, बिहार के डिप्टी सीएम सहित देशभर के वित्त मंत्री और पदाधिकारी शामिल हुए.

झारखंड जैसे पिछड़े राज्य के लिए बकाया का भुगतान जल्द किया जाये

श्री किशोर ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आग्रह किया कि झारखंड जैसे पिछड़े राज्य में विकास और कल्याणकारी योजनाओं के लिए बकाया का भुगतान जल्द किया जाये. उन्होंने बताया कि कोल-रॉयल्टी के 2900 करोड़, कॉमन कॉज के 32 हजार करोड़ और भूमि मुआवजा का एक लाख एक हजार 142 करोड़ रुपये यानि कुल 1.36 लाख करोड़ रुपये केंद्र पर बकाया हैं.

झारखंड की कोख में अमीरी है, लेकिन इसकी गोद में गरीबी

वित्त मंत्री श्री किशोर ने बैठक में कहा कि झारखंड की कोख में अमीरी है, लेकिन इसकी गोद में गरीबी है. राज्य के विकास और कल्याणकारी योजनाओं में केंद्र की विशेष सहायता की जरूरत है. वित्त मंत्री श्री किशोर ने झारखंड के लिए नये प्रोजेक्ट की मांग भी की. साथ ही कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और यातायात की सुगमता के लिए कनेक्टिविटी बढ़ाने की मांग रखी.

उग्रवाद प्रभावित इलाकों के लिए विशेष पैकेज दोबारा शुरू की जाये

राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि झारखंड अपने आंतरिक स्रोत से बहुआयामी विकास योजनाओं को पूरा करने में असमर्थ है, ऐसे में जनजातीय बहुल राज्य के सर्वांगिण विकास के लिए केंद्र सरकार की मदद जरूरी है. राज्य सरकार ने उग्रवाद प्रभावित इलाकों के लिए बंद किये गये विशेष पैकेज को अगले पांच वर्षों के लिए दोबारा शुरू करने की मांग रखी. वित्त मंत्री श्री किशोर ने कहा कि राज्य में उग्रवाद भले ही खत्म हो गया है, लेकिन जिस उद्देश्य से पैसा मिल रहा था, वह खत्म नहीं हुआ. उन इलाकों के लिए विशेष सहायता अब भी जरूरी है. झारखंड सरकार की ओर से इस बैठक में 15 सूत्री मांग रखी गयी.

केंद्रीय बजट में झारखंड ने क्या मांगा

स्वास्थ्य

– झारखंड के आदिवासी बाहुल खूंटी, गुमला और सिमडेगा में एक उच्चकोटि के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना- आदिवासी समुदाय की परंपरागत औषधि पर विशेष शोध संस्थान की स्थापना की जाये

शिक्षा

– राज्य में विश्वस्तरीय ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनाने के लिए विशेष मदद.

– मेदिनीनगर में कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए सहयोग.

सड़क

– सघन सड़क के दृष्टिकोण से झारखंड देश की तुलना में बहुत कम है. राज्य में प्रति 1000 किमी में 186.69 स्क्वायर किमी सड़क की उपलब्धता है, जबकि राष्ट्रीय औसत 500.84 स्क्वायर किमी है. इसे बढ़ाने में सरकार विशेष सहयोग करे.

– जिन सड़कों का निर्माण 10 वर्ष पहले हुआ है, उसकी मरम्मत की योजना शुरू हो.

– हर जिले में भारी मोटर वाहन प्रशिक्षण केंद्र खोला जाये.

– रांची से कोलकाता और रांची से पटना एक्सप्रेस-वे का निर्माण हो.

रेलवे

– चतरा, गुमला और सिमडेगा जिला मुख्यालय को रेल से जोड़ा जाये

गया-शेरघाटी छत्तरपुर, डालटनगंज को रेल लाइन से जोड़ा जाये – गि़रिडीह-पारसनाथ न्यू बीजी लाइन- गोड्डा-पाकुड़ न्यू बीजी लाइन- नामकुम-कांडरा, न्यू बीजी लाइन- पानेम कोल माइंस, पाकुड़ रेल लिंकेज

भू-गर्भ जल

– झारखंड में भू-गर्भ जल खतरनाक रूप से नीचे जा रहा है. झारखंड में 11 नदी बेसिन है. जल संग्रहण के लिए बीयार निर्माण के लिए विशेष पैकेज दिया जाये.

– जल संकट दूर करने के लिए विशेष पैकेज दिया जाये.

पयर्टन

– पलामू प्रखंड के बेतला नेशनल पार्क, गारू, महुआटांड, नेतरहाट और रांची को पर्यटन सर्किल से जोड़ने के लिए योजना में मदद दी जाये.

अल्पसंख्यक

– अल्पसंख्यक विकास की योजनाएं चलाने के लिए विशेष आर्थिक सहायता दी जाये.

सामाजिक सुरक्षा

– वृद्धा, दिव्यांग व विधवा पेंशन योजना में वर्ष 2012 से केंद्र सरकार क्रमश: 200, 300 और 300 रुपये दे रही है. महंगाई को देखते हुए यह राशि बढ़ायी जाये.

ग्रामीण विकास

– केंद्र सरकार पीएमजीएसवाइ का दायरा बढ़ाये और नयी सीएएसएस योजना बनाये, जिससे जनाकांक्षा पूरी हो.

कृषि-पशुपालन

– मौ़जूदा वित्तीय वर्ष में झारखंड मिल्क फेडरेशन को महज एक करोड़ 23 हजार उपलब्ध कराये गये. इसे बढ़ाया जाये. इसके लिए बुनियादी सुविधा और बाजारीकरण के लिए संसाधन दिया जाये.

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