सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार को निर्देश दिया है कि वह पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के पद पर अधिकारियों के नामों की सिफारिश के प्रस्ताव में मौजूद त्रुटियों को ठीक करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को जवाब दे. न्यायालय ने यह निर्देश राज्य में नये पुलिस प्रमुख की नियुक्ति में हो रही देरी का संज्ञान लेते हुए जारी किया है. राज्य के मौजूदा पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के 1987 बैच के अधिकारी हैं और 11 फरवरी 2023 को सेवानिवृत्त होनेवाले हैं.
प्रधान न्यायाधीश डीवाइ चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने शुक्रवार कहा, ‘यूपीएससी की ओर से पेश वकील नरेश कौशिक ने कहा है कि 30 नवंबर 2022 को आयोग ने झारखंड सरकार के साथ पत्राचार किया है, जिसमें डीजीपी पद के लिए अधिकारियों की सिफारिश संबंधी प्रस्ताव में कुछ त्रुटियों का उल्लेख किया गया है.’ पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘हम झारखंड सरकार को निर्देश देते हैं कि वह यूपीएससी की प्रस्तुत मांगों पर ध्यान दे और निश्चित तौर पर 23 दिसंबर या उससे पहले अपना जवाब दाखिल करे.
इसके बाद यूपीएससी नौ जनवरी, 2023 तक परिणामी कार्रवाई करेगा.’ इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य सरकार और अन्य के खिलाफ अवमानना याचिका को सुनवाई के लिए अगले साल 16 जनवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया.
राज्य सरकार पर शीर्ष अदालत के फैसले के उल्लंघन का आरोप : शीर्ष अदालत झारखंड सरकार और उसके वर्तमान डीजीपी नीरज सिन्हा के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर विचार कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सिन्हा 31 जनवरी 2022 को सेवानिवृत्त होने के बाद भी पद पर काबिज हैं.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि झामुमो के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने शीर्ष अदालत के उस फैसले का उल्लंघन किया है, जिसमें पुलिस सुधारों को लेकर कई निर्देश जारी करने के अलावा डीजीपी के लिए दो साल का कार्यकाल तय किया गया था. प्रकाश सिंह मामले में 2006 के शीर्ष अदालत के फैसले में कहा गया था कि एक राज्य के डीजीपी को ‘राज्य सरकार द्वारा विभाग के उन तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से चुना जाएगा,
जिन्हें सेवा की अवधि, पुलिस बल का नेतृत्व करने के लिए बहुत अच्छा रिकॉर्ड और अनुभव की सीमा के आधार पर यूपीएससी द्वारा उस रैंक पर पदोन्नति के लिए सूचीबद्ध किया गया हो.’ याचिका के अनुसार, अधिकारी का चयन कर लिये जाने के बाद उसकी सेवानिवृत्ति की तारीख पर विचार किये बिना कम से कम दो साल का न्यूनतम कार्यकाल दिया जाना चाहिए.