झारखंड में औसत से अधिक बारिश, तो भी शुद्ध पेयजल पहुंचाने में पिछड़ा, जानें राष्ट्रीय औसत से है कितना पीछे
झारखंड में शद्ध पेयजल पहुंचाने के मामले में पिछड़ा हुआ है. वो भी तब जब यहां पर बारिश समान्य से अधिक होती है. झारखंड की स्थिति सिर्फ दो राज्यों से बेहतर है.
रांची : झारखंड में औसतन 1400 मिमी के आसपास साल में बारिश होती है. बीते साल तो झारखंड के कई शहरों में मॉनसून के दौरान सामान्य से भी अधिक बारिश दर्ज की गयी. इसके बावजूद यहां के लोगों को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल पा रहा है. शुद्ध पानी पहुंचाने के मामले में झारखंड देश के 33 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में पिछड़े तीन राज्यों में शामिल हैं.
केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता एवं जल शक्ति मंत्रालय की ओर से देश भर में ‘जल जीवन मिशन’ चलाया जा रहा है. इसके तहत 2024 तक देश के हर घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. झारखंड में जल जीवन मिशन की प्रगति अच्छी नहीं है. झारखंड में अब तक लक्ष्य का सिर्फ 17.40 प्रतिशत ही हासिल किया जा सका है.
राज्य के 59.23 लाख घरों में पाइप लाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाना है, लेकिन अब तक सिर्फ 10 लाख 35 हजार घरों तक ही नल से जल पहुंचाया जा सका है. यहां के जलाशयों में पानी की कमी नहीं है. लेकिन, पाइप लाइन नहीं होने के कारण लोगों के घरों पर शुद्ध पेजयल नहीं पहुंच रहा है.
बिहार की स्थिति झारखंड से बेहतर :
दूसरी तरफ बिहार की स्थिति झारखंड से काफी अच्छी है. यहां पर अब तक 88.81 प्रतिशत घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा चुका है. झारखंड से पीछे सिर्फ दो राज्य उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ हैं. उत्तर प्रदेश में सिर्फ 13.21 प्रतिशत घरों और छत्तीसगढ़ में 15.93 प्रतिशत घरों में पाइप लाइन से पेयजल पहुंचाया गया है. झारखंड की प्रगति राष्ट्रीय औसत से 28.24 प्रतिशत कम है. देश का राष्ट्रीय औसत 45.64 प्रतिशत है.
पांच राज्यों में शत-प्रतिशत घरों तक पहुंचा शुद्ध पेयजल
जल जीवन मिशन योजना के दो साल के अंदर ही हरियाणा समेत पांच राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों ने शत प्रतिशत घरों तक शुद्ध पेयजल पहुंचा दिया है. इसमें अंडमान एवं निकोबार, दादर एवं नागर हवेली एंड दमन द्वीव, गोवा, पांडिचेरी व हरियाणा शामिल है. वहीं पंजाब में 96 प्रतिशत से अधिक, गुजरात व हिमाचल प्रदेश में 90 प्रतिशत से अधिक घरों में अब तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा चुका है.
Posted By : Sameer Oraon