झारखंड में अब ज्यादा कर्ज दे रहे बैंक, कोविड के बाद तेजी से बदल रही है राज्य की आर्थिक स्थिति

झारखंड का डिपोजिट ग्रोथ कुल 3,21,225.67 करोड़ है. इसमें जहां 10.50 % का इजाफा है. वहीं, क्रेडिट ग्रोथ में 19.80% का इजाफा देखा गया है. इसका मतलब कि बैंकों ने राज्य की कंपनियों, बिजनेसमैन या फिर आम लोगों को दिये जाने वाले उधार को बढ़ाया है

By Prabhat Khabar News Desk | January 14, 2024 3:58 AM

बिपिन सिंह, रांची :

झारखंड में कोविड के बाद आर्थिक स्थिति तेजी से बदल रही है. इसका संकेत बैंकों के ऋण-जमा अनुपात (सीडी रेशियो) और बैंकों के रिपोर्ट कार्ड में साफ दिखाई दे रहे हैं. 2022 की तुलना में 2023 में बड़ा अंतर दिख रहा है. इसके साफ संकेत हैं, कि बैंक राज्य के लोगों को अब पहले की तुलना में ज्यादा कर्ज सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं. कोविड के बाद 31 मार्च 2022 को जहां बैंकों का ऋण-जमा अनुपात 42.37% था. वहीं, बीते साल के अंतिम आंकड़ों के अनुसार यह सुधर कर 45.4% के करीब हो गया है. महज कुछ महीनों के अंतराल के दौरान इसमें 4.66% का इजाफा दर्ज किया गया है. एसएलबीसी की 85वीं बैठक में बैंकर्स ने ऋण जमा अनुपात के बढ़ने को लेकर संतोष जताया था. हाल तक मुख्यमंत्री एसएलबीसी की बैठकों में यह कहते रहे हैं कि बैंक अपनी आय बढ़ाने में तो दिलचस्पी दिखा रहे हैं पर गरीब जरूरतमंदों, आदिवासियों को ऋण देने में प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं.

राज्य में बैंकों ने उधार बढ़ाया : 

झारखंड का डिपोजिट ग्रोथ कुल 3,21,225.67 करोड़ है. इसमें जहां 10.50 % का इजाफा है. वहीं, क्रेडिट ग्रोथ में 19.80% का इजाफा देखा गया है. इसका मतलब कि बैंकों ने राज्य की कंपनियों, बिजनेसमैन या फिर आम लोगों को दिये जाने वाले उधार को बढ़ाया है. इसका सीधा असर विकास या इंडस्ट्रीयल ग्रोथ से है. पिछले साल ठीक इसी अवधि में यह 10.25% था. लोग बैंक से जितना कर्ज लेते हैं, बैंक क्रेडिट ग्रोथ उतना ही ज्यादा बढ़ता है.

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कई सेक्टरों में सुधार के संकेत

बैंकों ने कई सेक्टरों में अपना ऋण प्रवाह पहले के मुकाबले ज्यादा बढ़ाया है. वित्तीय जानकारों की मानें, तो कोविड प्रभाव के बाद अर्थव्यवस्था में अब जाकर सुधार देखा जा रहा है. हाल के दिनों में राज्य के अंदर कृषि, पशुपालन, मत्स्य, कमजोर वर्ग, अल्पसंख्यक, एससीएसटी, स्वयं सहायता समूहों व महिलाओं को दिये जाने वाले ऋण में संतोषजनक इजाफा हुआ है.

झारखंड का ऋण-जमा अनुपात (स्रोत : आरबीआइ)

– 31 मार्च 2022 : 42.37%

– 30 सितंबर 2022 : 42.37%

– 31 मार्च 2023 : 45.07%

– 30 सितंबर 2023 : 45.04%

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